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रुहेलखंड विश्वविद्यालय में अगस्त माह में परीक्षा नहीं चाहते पूर्व छात्र नेता

बिजनौर। पूर्व छात्र नेता रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अगस्त माह में परीक्षा कराने के फैसले से सहमत नहीं हैं। छात्र नेता कोरोना संक्रमण काल में परीक्षा कराने को छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ मानते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के हित में यह निर्णय वापस होना चाहिए।
यूजीसी ने स्नातक तथा स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षा 20 अगस्त से कराने का निर्णय लिया है। इस समय कोरोना के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। इसको देखते हुए रुहेलखंड शिक्षक संघ रूटा ने परीक्षा कराने के फैसले का विरोध किया है। पूर्व छात्र नेता भी यूजीसी के निर्णय को गलत बता रहे हैं। संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के पूर्व छात्र नेता रामेंद्र सिंह का कहना है कि गांवों से विद्यार्थी परीक्षा देने आते हैं, अभिभावक उनके साथ आते हैं। इस प्रकार परीक्षा शुरू व खत्म होते समय कॉलेज के गेट पर काफी भीड़ हो जाती है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे होगा। कोरोना पीक पर है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ जान बूझकर खतरा मोल लेना कतई ठीक नहीं है।

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संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के नेता व अभिभावक संघ के अध्यक्ष नृपेंद्र देशवाल कहते है कि यूजीसी का फैसला कोरोना के हालातों को ध्यान में रखकर नहीं लिया गया है। यह स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन की अनदेखी है। अभिभावकों में परीक्षा दिलाने को लेकर असमंजस की स्थिति है। शासन को मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। रुटा का परीक्षा का विरोध सही है। वर्धमान कॉलेज बिजनौर के पूर्व छात्र नेता हितेश विश्नोई ने कहा कि बिजनौर में रोजाना काफी केस निकल रहे है। अब तो कोरोना गांव तक फैला है। यूजीसी विद्यार्थियों की जान जोखिम डालने का काम कर रहा है।

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