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जब एक-एक कर एम्स में पहुंचने लगे घायल छात्र –

नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम को हुई हिंसा के बाद एम्स ट्रॉमा सेंटर की एमरजेंसी यूनिट में 23 लोगों को लाया गया. हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार के मुताबिक़, घायल छात्रों का आना शाम के 5.08 बजे शुरू हुआ और जो एक के बाद एक तक़रीबन डेढ़ घंटे तक आते रहे. इतनी बड़ी संख्या को देखकर डॉक्टर भी सकते में आ गए.

अख़बार के मुताबिक़, शुरुआत में दो जेएनयू एंबुलेंस और प्राइवेट गाड़ियों के ज़रिए 14 छात्र एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचे जिन्हें उनकी चोटों की गंभीरता के हिसाब से अलग-अलग समूहों में बांटा गया. रविवार होने के कारण ट्रॉमा सेंटर में अधिक स्टाफ़ नहीं था जिसके कारण बाकी के स्टाफ़ को भी बुलाया गया. अस्पताल के प्रोटोकॉल के हिसाब से मरीज़ों को तीन अलग-अलग रंगों वाले क्षेत्र में बांटा जाता है-लाल (अधिक गंभीर जिन्हें भर्ती करने की ज़रूरत है), पीला (चोटों पर ध्यान देने की ज़रूरत है लेकिन भर्ती की ज़रूरत नहीं है) और हरा (मामूली उपचार) के लिए.

दो घायलों को लाल क्षेत्र में रखा गया था, जिनके सीने और सिर पर चोटें आई थीं. पांच घायलों को मामूली चोटें आई थीं और उन्हें हरा क्षेत्र और बाकियों को पीले क्षेत्र में रखा गया था. इन घायलों के अस्पताल पहुंचने के बाद वीआईपी लोगों का अस्पताल परिसर में आना शुरू हो गया था. सबसे पहले कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी एम्स पहुंचीं और उन्होंने कहा कि ‘मोदी-शाह के गुंडे’ विश्वविद्यालयों में उपद्रव फैला रहे हैं, बच्चों में डर फैला रहे हैं. वहीं, अस्पताल में घायल छात्रों से मिलने पहुंचीं बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि छात्रों का कहना है कि लेफ़्ट के बुलावे पर नक़ाबपोश छात्र कैंपस में घुसे थे.

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