परीक्षाओं को रद्द करना विद्यार्थियों के हित में नहीं, परीक्षाओं को सुलभ कराने के लिए दिए गए है विकल्प : यूजीसी
नई दिल्ली।
देश में अनलॉक की प्रक्रिया धीरे-धीरे तेज की जा रही है, देश भर में लॉकडाउन के बाद भी कोविड-19 को काबू नहीं किया जा सका है बल्कि लॉकडाउन खुलने के बाद कोविड-19 के मामले और तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में कई राज्यों, छात्रों और शिक्षकों ने परीक्षा का विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसी हालत में परीक्षा के आयोजन से छात्रों की जिंदगी को खतरा पैदा हो सकता है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के मंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर परीक्षा को रद्द करने की मांग की है।
वहीं यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने फाइनल इयर एग्जाम के आयोजन को छात्रों के हित में बताया है। यूजीसी ने कहा कि महामारी की वजह से दुनिया भर की बेहतर विश्वविद्यालय ऑनलाइन मोड में परीक्षा का आयोजन कर रही हैं लेकिन असेसमेंट के बगैर सर्टिफिकेट्स नहीं दे रहे। यूजीसी की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब फाइनल इयर के एग्जाम सितंबर में होंगे। लेकिन यूजीसी ने यूनिवर्सिटियों को निर्देश दिया है कि परीक्षा के माध्यम में लचीलापन होना चाहिए। टर्मिनल सेमेस्टर/फाइनल इयर के एग्जाम तीनों मोड ऑफलाइन, ऑनलाइन और ऑफलाइन-ऑनलाइन मिले जुले मोड में होना चाहिए। इन सब बातों पर बड़े ही सावधानी से विचार के बाद ही उक्त निर्णय लिया गया है।
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अंतिम वर्ष की परीक्षा होगी रद्द ऐसी थी संभावना –
कोविड-19 के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए फाइनल इयर की परीक्षाओं को भी रद्द करने की संभावना थी। आपको बता दें कि फाइनल इयर को छोड़कर बाकी इयर/सेमेस्टर के एग्जाम यूनिवर्सिटियों में रद्द कर दिए गए हैं। बाकी सेमेस्टर/इयर के छात्रों का मूल्यांकन पहले हो चुकी परीक्षाओं और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा।
यूजीसी सख्त –
बता दें कि हाल ही में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि आयोग द्वारा निर्धारित समय में हर राज्यों के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को परीक्षा कराना अनिवार्य है। आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश की कोई भी अवहेलना नहीं कर सकता।