देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ 37वां वर्चुअल ज्ञानदीक्षा समारोह
मुख्य अतिथि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि रहे

देहरादून :
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 27 अक्तूबर को 37वां ज्ञानदीक्षा समारोह आयोजित किया गया। कोरोना महामारी के चलते यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड मे सम्पन्न हुआ। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के ज्ञानदीक्षा समारोह के बतौर मुख्य अतिथि श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि ज्ञानदीक्षा ज्ञानार्जन का महापर्व है। भारतीय संस्कृति ही देव संस्कृति है। देव संस्कृति से ही देवों का गढ़ने का क्रम चल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय नालंदा-तक्षशिला विश्वविद्यालय का आधुनिक स्वरूप है। अपने संबोधन में आगे स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि यह विवि सच्चे अर्थों में युवा पीढ़ी को गढ़ने की टकसाल है। युवाओं में नैतिकता, सात्विकता जैसे गुणों को विकसित कर उन्हें महामानव बनाने का कार्य चल रहा है।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. पंड्या ने कहा कि –
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सभी नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को दीक्षित किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. पंड्या ने कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। सद्ज्ञान से आंतरिक चेतना का विकास होता है। शिक्षक व छात्र के बीच ऐसा सामंजस्य होना चाहिए, जिससे ज्ञान का आदान-प्रदान का क्रम सदैव बना रहे। उन्होंने कहा कि चेतनापरक विद्या की सदैव उपासना करनी चाहिए। इससे अच्छाइयों की ओर सतत आगे बढ़ने की आंतरिक क्षमता का विकास होता है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार अत्यंत हर्ष के साथ नवागत विद्यार्थियों के दीक्षारम्भ संस्कार के कार्यक्रम हेतु 37 वें ज्ञानदीक्षा समारोह का आयोजन कर रहा है।
‘ज्ञानदीक्षा समारोह’ से जुड़ने के लिए शान्तिकुञ्ज वीडियोस(यूट्यूब) लाइव पर कल प्रातः 09:30 बजे जुड़ें।@AvdheshanandG pic.twitter.com/uL1VijANZR— Dev Sanskriti Vishwavidyalaya (@dsvvofficial) October 26, 2020
कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए समारोह का हुआ आयोजन –
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज के 37वें ज्ञानदीक्षा समारोह में नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं ने समाज और राष्ट्र सेवा की ओर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए खुद को वैदिक सूत्रों में बांधा। विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश से देवसंस्कृति विवि में प्रवेश लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन भाग लिया। इसमें 37 विभिन्न कोर्स के उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित विभिन्न राज्यों से विद्यार्थी शामिल रहे।
ई न्यूज पत्रिका ‘रेनासा’ का हुआ विमोचन –
इस मौके पर विश्वविद्यालय की ई न्यूज पत्रिका ‘रेनासा’ का विमोचन भी किया गया। कुलपति शरद पारधी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। समारोह की शुरुआत कुलाधिपति डॉ. पंड्या ने दीप जलाकर की। उदय किशोर मिश्र ने ज्ञानदीक्षा का वैदिक कर्मकांड संपन्न कराया। इसके बाद डॉ. पंड्या ने उन्हें ज्ञानदीक्षा का संकल्प दिलाया। समारोह में व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र, देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ देवांगन, प्रो. ईश्वर भारद्वाज, देसंविवि के आचार्य और शांतिकुंज के कार्यकर्ता मौजूद थे।
पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी के सपनों का विश्वविद्यालय –
गौरतलब है कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्र के युवाओं को निखार-संवार कर श्रेष्ठतम नागरिक, समर्पित स्वयंसेवक, प्रखर राष्ट्रभक्त एवं विषय-विशेषज्ञ बनाने के साथ-साथ महामानव और देव मानव बनाना है, जिससे मनुष्य में देवत्य उतरे और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का स्वप्न साकार हो सके। यह विश्वविद्यालय पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी के सपनों का विश्वविद्यालय है जिसे महामानव गढ़ने की टक्साल कहा गया है।
ये भी पढ़ें –
एचएयू के विद्यार्थी करेंगे आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन पढ़ाई
नई दिल्ली :
राष्ट्रीय कृषि उच्च शैक्षणिक परियोजना- संस्थागत विकास योजना के अन्तर्गत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, एचएयू के विद्यार्थी आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि उच्च शैक्षणिक परियोजना- संस्थागत विकास योजना के तहत सोमवार को एक ऑनलाइन कृषि कौशल सशक्तिकरण कार्यक्रम शुरू हुआ है।
• इसका उद्घाटन वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के उपकुलपति एवं वाइस प्रेसीडेंट (Research, Enterprise and International) प्रो. डेबोराह स्वीनी ने किया। कार्यक्रम में एचएयू के कुलपति प्रो. समर सिंह को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।