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कई राज्यों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं की थी रद्द, यूजीसी ने कहा किसी राज्य को परीक्षाएं रद्द करने का अधिकार नहीं

नई दिल्ली।

यूजीसी ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करानी हैं। हाल ही में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि आयोग द्वारा निर्धारित समय में हर राज्यों के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को परीक्षा कराना अनिवार्य है। वहीं इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ जाकर राज्य में सभी परीक्षाएं रद्द करने का आदेश दे दिया था। जिस पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोविड-19 महामारी के बीच अंतिम वर्ष की परीक्षाएं निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है। सेवानिवृत्त शिक्षक और पुणे से विश्वविद्यालय सीनेट के पूर्व सदस्य धनंजय कुलकर्णी की याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया गया। याचिका में परीक्षाएं निरस्त करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

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बंबई उच्च न्यायालय करेगा सुनवाई –
बताते चलें की यूजीसी के आदेश का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने पिछले महीने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं। सरकार ने कहा था कि उसे महामारी अधिनियम तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन यूजीसी ने दलील दी थी कि इन कानूनों को विश्वविद्यालय अनुदान आयुक्त अधिनियम जैसे विशेष कानून के वैधानिक प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता। आयोग ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला यूजीसी के 29 अप्रैल और 06 जुलाई, 2020 को जारी दिशा-निर्देशों के प्रतिकूल है, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से सितंबर, 2020 के अंत तक परीक्षाएं करने को कहा गया था। उक्त मामले पर बंबई उच्च न्यायालय जल्द सुनवाई करेगा।

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