माइंड मैनेजमेंट : जानिए कैसे रहें खुश, बनाए रखें मधुर संबंध
लखनऊ : एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ह्यूमन साइंस एंड डेवलपमेंट, लखनऊ के चाइल्ड डेवलपमेंट एंड वुमन ट्रेनिंग प्रोग्राम (सी.डी.डब्लू.टी.पी.) विभाग द्वारा ‘स्पिरिट एंड बॉडी कनेक्शन’ विषय पर ऑनलाइन लेक्चर सीरीज का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को आयोजित लेक्चर में मुख्य स्पीकर बी. के. पूजा दीदी थीं। लेक्चर के आरंभ में उन्होंने आत्मा और आध्यात्मिकता को समझना, आध्यात्मिकता से इम्युनिटी को बढ़ाना विषय पर चर्चा की। इसके बाद माइंड मैनेजमेंट, संबंधों में मधुरता रखने के उपायों पर चर्चा की। कर्म का दर्शन, मैडिटेशन के विभिन्न आस्पेक्ट्स, अपने अन्दर शांति का अनुभव करना, मैडिटेशन की शक्ति, सुप्रीम पॉवर तक पहुचने की यात्रा आदि विषयों पर भी बात की।
हमें अपने मन पर काम करने की आवश्यकता है। ख़ुशी को हम बाहर खोजने की कोशिश करते हैं जबकि वो हमारे अन्दर ही है और स्थायी है। आवश्यकता केवल उसे पहचानने की है | मन की शक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है।
सुबह दें मन को सकारात्मक डाइट
मन को जिस तरह की इमोशनल डाइट देंगे वो उसी तरह का बनेगा | सुबह सुबह ही हम न्यूज़ पेपर एवं सोशल मीडिया आदि से अपने मन में नकारात्मक विचारों को डालते हैं जिससे हमारे मन की शक्ति कमजोर हो जाती है। अपने माइंड को विचलित होने से रोकने के लिए उसमें अनावश्यक विचारों को नही डालना चाहिए। मन पर 70 प्रतिशत विचारों का प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस पर नियंत्रण नहीं वरन इसे दिशा देना आवश्यक है। मैडिटेशन के आस्पेट्स के बारे में बताया कि इसे ध्यान, साधना, समाधि, तपस्या कहते हैं अर्थात ईश्वर के साथ बात और निरंतर संपर्क बनाये रखना मैडिटेशन है जिसके रिस्पांस को आप महसूस कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ये जो श्री राम, कृष्णा, महात्मा बुद्ध, गुरु नानक हैं, ये ईश्वर के पैगम्बर हैं। कठिनाइयों में भी इन लोगों ने अपने वैल्यूज को नही छोड़ा, इसलिए हमे भी अपने मूल्यों को नही छोड़ना चाहिए।
वर्तमान में नियंत्रण रखना जरूरी
डॉ. बी.के. सुनीता दीदी ने भी सदा स्वस्थ रहने का राज राजयोग पर लेक्चर दिया। बताया कि स्व स्थिति पर काम करने से अर्थात वर्तमान में नियंत्रण रखने और खुश रहने से सदा स्वस्थ रहा जा सकता है। मेडिटेशन एक हीलिंग का काम करती है। पॉजिटिव सेल्फ टॉक और ओरिजिनल आइडेंटिटी पर फोकस करने से आत्मा के वास्तविक गुण जैसे शांति, प्रेम, आनंद, सुख, ज्ञान, पवित्रता अपने आप ही अन्दर आ जाते हैं और पॉजिटिव होर्मोनेस बनते हैं जो एक मेडिसिन का काम करते हैं | आपने मैडिटेशन करके बताया। उन्होंने बताया की शुभ भावना, प्रेम सहयोग सम्मान आदि देते रहने की भावना रखनी चाहिए और केवल परमात्मा से लेने की भावना रखनी चाहिए | जो कुछ हुआ है अच्छा हुआ है और जो होगा अच्छा ही होगा ऐसा सोचना और सबको धन्यवाद देते रहना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन नीतिका श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के होस्ट विजय शंकर भाई एवं वरदानी भवन थे। स्वागत वक्तव्य संस्थान के निदेशक प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने दिया। लेक्चर में विजय शंकर भाई, करन असरानी, सबिता सिंह, संगीता, तनु रस्तोगी, बी.के. परिमल भाई जी, सुनील कुमार सैनी, डॉ. रनजीत सिंह, डॉ. दीप शिखा अवस्थी, डॉ विजय, डॉ. अर्नशा, डॉ विभा बाजपेयी, डॉ. मसियत रिज़वी, डॉ गौरव मिश्रा, डॉ. प्रीती गुप्ता, साधना वर्मा, मंजुलिका गौतम, अनिल यादव आदि उपस्थित रहे।