विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष की परीक्षा के यूजीसी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिका हुयी दायर
नई दिल्ली।
यूजीसी ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से यह अनुरोध किया है कि वे अपने यहां के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से कराये व सितंबर के अंत तक देश के सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करानी हैं। हाल ही में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि आयोग द्वारा निर्धारित समय में हर राज्यों के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को परीक्षा कराना अनिवार्य है। वहीं कई राज्यों ने यूजीसी के इन निर्देशों पर ऐतराज जताया था। आज सभी विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के दिशा-निर्देश संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का हालिया आदेश रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
अनुच्छेद 21 के अधिकार का खुला उल्लंघन –
बताते चलें कि विश्वविद्यालयों के 10 से अधिक छात्रों ने यूजीसी के 06 जुलाई के दिशा-निर्देशों को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इन याचिकाकर्ता छात्रों में एक कोरोना पीड़ित भी है। याचिकाकतार्ओं का कहना है कि ऐसे अंतिम वर्ष के कई छात्र हैं जो या तो खुद कोरोना संक्रमण के शिकार हैं या उनके परिवार के सदस्य इस महामारी की चपेट में हैं। ऐसे छात्रों को इस वर्ष 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है। इस पुरे मुद्दे और याचिकाकर्ताओं के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि आमतौर पर 31 जुलाई तक छात्रों को अंक प्रमाण पत्र/ डिग्री प्रदान की जाती है, जबकि वर्तमान मामले में परीक्षाएं 30 सितंबर तक समाप्त होंगी। याचिकाकर्ता दलील है कि जब विभिन्न शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द करके आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम घोषित किए जा सकते हैं तो अंतिम वर्ष के छात्रों का क्यों नहीं?
जल्द लिए जायेंगे निर्णय –
वहीं कयास लगाए जा रहे है कि इस पुरे मुद्दे पर अदालत जल्द अपना फैसला लेगी।