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भारतीय रिजर्व बैंक में सहायक महाप्रबंधक सौरभ को मिला हॉर्वर्ड में दाखिला

बलिया। जिले के माटी के लाल वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक में सहायक महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत सौरभ ने विश्व की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हॉर्वर्ड में दाखिला पाकर भृगुनगरी ही नहीं बल्कि सबको गौरवान्वित कर दिया है। हॉर्वर्ड के अलावा सौरभ का चयन अमेरिका की दो और बेहद चुनिंदा विश्विद्यालयों कोलंबिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी आफ मिशिगन में हुआ है। यह सफलता हासिल करने वाला गड़वार थाना क्षेत्र के बड़सरी गांव के निवासी सौरभ प्रताप सिंह स्व. जगत नारायण सिंह ने अपने क्षेत्र व जिले का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा दिया है।

50-60 लाख रुपए तक की दी जाती है स्कॉलरशिप
इस सफलता की शुरुआत वर्ष 2019 में उन्हें फुलब्राइट फेलोशिप मिलने से हुई थी। फुलब्राइट फेलोशिप सम्पूर्ण विश्व की सबसे प्रतिष्ठित फेलोशिप मानी जाती है, जिसके अंतर्गत चयनित प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अमेरिका सरकार की तरफ से वहां के किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए तकरीबन 50-60 लाख रुपए तक की स्कॉलरशिप दी जाती है। विश्व के बाकी देशों की तरह भारत से भी एक बहुत कठिन चयन प्रक्रिया के अंतर्गत कुछ चुनिंदा लोगों का चयन होता है. हर वर्ष पूरे देश से हजारों अभ्यर्थियों में से विविध विधाओं से कुल मिलाकर मात्र कुछ लोगों को इसके लिए चुना जाता है। इस प्रतिष्ठित फेलोशिप को पाने के लिए आईएएस, आईपीएस समेत देश के बेहद प्रतिभावान और मेधावियों में होड़ लगी रहती है।

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सौरभ ने प्रारंभिक शिक्षा नागाजी स्कूल से ली
सौरभ ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा जिले के नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर से पूरी की है। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। सीएटी-2009 की परीक्षा में 99.7 प्रतिशत हासिल करने के बाद सौरभ ने आईआईएम से एमबीए किया, जहां वह गोल्डमेडलिस्ट रहे। यहीं से उनका चयन रिजर्व बैंक में हो गया था। पहली पोस्टिंग लखनऊ मिली। सौरभ ने बलिया समेत पूर्वांचल के 5-6 जिलों के अग्रणी जिला अधिकारी के तौर पर कार्य किया। लखनऊ के अपने कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने शिक्षा में सुधार के लिए स्व-प्रेरणा से प्रोजेक्ट इम्पैक्ट की शुरुआत की जिसे प्रदेश के राज्यपाल, उपमुख्यमंत्री और देश के एचआरडी मंत्री सहित तमाम शिक्षाविदों ने बहुत सराहा। सौरभ के अनुसार, हॉर्वर्ड या अन्य अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में चयन में शैक्षणिक योग्यता के अतिरिक्त प्रोजेक्ट इम्पैक्ट व आरबीआई में उनके समृद्ध अनुभव तथा समाज के प्रति संवेदनशीलता आदि बहुत बड़ा कारक रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय सौरभ अपनी माता, पिता एवं अन्य परिजन के आशीर्वाद, तथा अपने विद्यालय की शिक्षा, वहां के अनुशासन और संस्कार को दिया है।

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