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मानव जीवन के उत्थान के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच : शिव प्रसाद

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

लखनऊ : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उप्र द्वारा लखनऊ के विज्ञान भवन मुख्यालय में योग विषय पर बौद्धिक सत्र एवं प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सचिव शिव प्रसाद (आईएएस) एवं निदेशक डा.डी.के.श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक डा.हुमा मुस्तफा,राधे लाल, डा.पूजा यादव के द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। वि.प्रौ.परिषद के सचिव ने कहा कि यह उत्सव जीवन के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरगामी एवं वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को दर्शाता है। योग, शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ करता है।

योग पर व्याख्यान के योग दिवस पर कामन योग प्रोटोकॉल का क्रियात्मक अभ्यास सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा मनोयोग के साथ किया गया। इस अवसर परिषद समस्त अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

व्यक्तित्व का परिष्कार करता है योग : डीके

निदेशक डा.डी.के.श्रीवास्तव ने कहा कि योग तन और मन को व्यवस्थित करता है। योग व्यक्तित्व का परिष्कार करता है, जिसके कारण व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।उन्होंने कहा कि इस वर्ष योग दिवस का मुख्य विषय “स्वयं और समाज के लिए योग ” है। यह वास्तविकता में तभी सार्थक होगा ,जब हम सभी योग को अपने जीवन में उतार लें।

…पूता मरे न बूढ़ा होए

बौद्धिक सत्र में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के योग काउंसलर अंजनी कुमार दुबे  ने कहा कि योग वस्तुतः मन का विज्ञान है। स्वस्थ मन ही स्वस्थ समाज की संकल्पना को साकार कर सकता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति स्वयं और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।योग सर्वप्रथम स्वयं को तराशने की सीख देता है। योग सवयं का स्वयं द्वारा शोधन करने की वैज्ञानिक कला है। योग केवल आसन ,प्राणायाम नहीं है अपितु योग समग्र जीवन के विकास का प्रबंध- विज्ञान है।

उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि से पूर्व भी योग विद्या थी परन्तु उसे व्यवस्थित रूप देने का कार्य महर्षि पतंजलि ने किया। उन्नत समाज की संरचना के लिए स्वस्थ व्यक्तित्व की आवश्यकता के कारण ही महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना की। इसमें समाधिपाद, साधनपाद,विभूतिपाद,कैवल्यपाद के अंतर्गत योग विद्या विशद निरूपण किया गया है।योग सूत्र और योग दिवस के मूल विषय एवं अष्टांग योग की महत्ता पर बल देते हुए बताया कि यम और नियम मानसिक एवं सामाजिक शुचिता के लिए आवश्यक हैं तो वहीं आसन शरीर को दृढ़ता प्रदान करता है।प्राणायाम जीवनी शक्ति का विकास करता है। प्रत्याहार स्वयं पर नियंत्रण करने की कला सिखाता है। धारणा और ध्यान, समाधि स्व अर्थात आत्म चेतना के उत्थान की वैज्ञानिक प्रक्रिया है। उन्होंने हठ योग पर भी प्रकाश डालते हुए गुरु गोरखनाथ की प्रसिद्ध उक्ति का उल्लेख करते हुए कहा,”आसन दिढ़, आहर दिढ़ ज्यों निद्रा दिढ़ होए, गोरख कहें रे पूता मरे न बूढ़ा होए।।”।

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