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हॉस्पिटल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव पिता के नाम बेटी का पत्र

मैं जानती हूं पापा तुम कोरोना पॉजिटिव हो किंतु मैं भयभीत नहीं हूं।
मैं जानती हूं कि आप
भी विचलित नहीं होंगे और ना ही घबराएंगे।
क्योंकि तुम भारत के बहादुर सिपाही हो
रोजाना की तरह तुम आज भी लड़ोगे
संघर्ष करोगे और जीत कर दिखाओगे।
मेरे पापा तुम कोरोना को जरूर हराओगे
पुलिस की नौकरी करते करते
मेरा पिता कब कोरोना पॉजिटिव हो गया।
हमें इसका बिल्कुल भी नहीं भान था।
मेरा पिता तो बस दिल्ली पुलिस का जवान था।
पहली बार तड़के तड़के
जब आपको खांसी चली।
तो हमारी जान निकल गई।
कोरोना पॉजिटिव होने की बात सुनकर
पैरों के नीचे से धरती ही निकल गई।
डॉक्टरों की टीम व पुलिस की गाड़ी जब आपको लेने आए उस दिन पूरे परिवार ने रोटी की  एक कोर तक नहीं नहीं खाई थी।
जैसे तैसे रो पीटकर दिन काटा था।
रात के साथ दिलों में पसरा सन्नाटा था।
लोगों की बातें सुनकर दिल जार जार हो गया। और पूरा परिवार अनजाने में ही गुनाहगार हो गया।
मेरे पापा तुम कोरोना को हराओगे संघर्ष करोगे।
और जीत कर दिखाओगे।
मेरे  शेर दिल पापा यह छोटा सा कोरोना तुम्हारा क्या बिगाड़ पाएगा।
तुम्हारी हिम्मत के आगे दबे पाव भाग जाएगा।
देखना तुम चंद दिनों में
अस्पताल से घर लौट आओगे।
मेरे बहादुर पापा तुम अवश्य जंग जीत जाओगे।
एक बात कहूँ
मेरा घर तुम्हारे जाने से सुना हो गया है।
मेरी मां तुम्हारे कपड़ों की खुशबू सूंघ कर रोती है।
तुम्हारी खैर खबर सुनने को फोन की तरफ टकटकी लगाकर देखती रहती है।
काश।  मैं तुम्हारे पास आ सकती
तुम्हारी बाहों में समा सकती।
तुम्हारा दर्द, तुम्हारी पीड़ा को चुटकियों में भगा सकती।
सूनी छत को तुम्हारा आसमान बना सकती।
चिंता यही है कि तुम अपनी मुनिया के बिना रोटी का कोर कैसे खाते होंगे?
अपने परिवार के बिना कैसे रात बिताते होंगे?
भूलना मत पापा, मेरी मां रातों को उठ कर रोती है।
पानी की जगह गम के आंसू पीती है।
उसे क्या तुम रोता छोड़ जाओगे?
क्या उससे मुंह मोड़ जाओगे?
याद रखना पापा, तुम्हें लौट के घर आना है
तुम्हें सीधे हॉस्पिटल से श्मशान घाट नहीं जाना है।
आकर अपनी लाडो को गोद में उठाना है।
अपनी मुनिया को सपनों की रानी बनाना है।
उसके गुलाबी गालों पर अपना प्यार सजाना है।
जब कोरोना को जीतकर देश का मान बढ़ाओगे।
पापा तब तुम देखना दूसरों के लिए उदाहरण बन जाओगे।।
मेरे बहादुर पापा तुम घर लौटकर अवश्य आओगे,  बिल्कुल आओगे।
…………………….
(लेखिका लोक साहित्यकार हैं एवं
राजकीय उच्च विद्यालय रामबास, नारनौल, हरियाणा में मुख्य अध्यापिका हैं)
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