शिक्षा प्रणाली स्वचलित होना सही नहीं, टीचरों को रिप्लेस नहीं कर पाएगी टेक्नोलॉजी- यूजीसी उपाध्यक्ष
नई दिल्ली।
एक वेबिनार में हिस्सा लेते हुए यूजीसी के उपाध्यक्ष डॉक्टर भूषण पटवर्धन ने कहा कि हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को स्वचलित नहीं बनाना चाहिए क्योंकि टेक्नोलॉजी शिक्षकों को रिप्लेस नहीं कर सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण लोग सीखने के नए तरीकों को अपना रहे हैं लेकिन इससे हमारी शिक्षा प्रणाली स्वचलित नहीं होनी चाहिए। यूजीसी के उपाध्यक्ष जयपुर के एक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक वेबिनार के दौरान बोल रहे थे।
इस दौरान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. पंकज गुप्ता ने कहा कि हमें अपनी मौजूदा शिक्षा प्रणाली को फिर से रणनीतिक बनाने की आवश्यकता है। क्योंकि वायरस के चलते छात्रों ने ऑनलाइन माध्यम को ज्यादा महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि इस नई ऑनलाइन प्रणाली के चलते निकट भविष्य में उनके मानसिक स्वास्थ्य में बाधा आ सकती है।
वहीं आईआईएम के निदेशक डॉ. डीपी गोयल ने शिलांग वेबिनार में भी कहा कि टीचर्स और पेरेंट्स पर शिक्षा के ऑनलाइन माध्यम को अपनाने का काफी दबाव है। उन्होंने कहा कि लेकिन अभी यह ट्रेनिंग के दौर में है। इसलिए मौजूदा शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए हमें अपने दॉष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षा मूल्य आधारित नहीं है तो फिर उसका कोई मतलब नहीं है।
बता दें कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर बंद होने के बाद छात्रों ने ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा लिया है। जानकारों का मानना है कि यह प्रणाली लंबे समय तक कामयाब नहीं है। वहीं अभी भी छात्रों को स्कूल कॉलेज नहीं खुलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। छात्र ठीक से परीक्षा की तैयारियां भी नहीं कर पाए हैं। वायरस के चलते आगे भी क्या स्थिति होगी इस पर भी अभी कुछ साफ नहीं है। बताते चलें कि गृह मंत्रालय ने अनलॉक 2.0 में सभी शैक्षणिक संस्थानों को 31 जुलाई तक बंद ही रखने का फैसला किया।