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विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं बहुविकल्पीय प्रश्नों से कराने की बात पर विशेषज्ञ हुए नाराज, नई व्यवस्था न थोपने को कहा

नई दिल्ली।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं दीर्घकालिक प्रारूप के बजाय बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी, खुला विकल्प, कार्य जैसे विकल्पों से कराई जा सकती हैं। ऐसे में तमाम विशेषज्ञों और विद्वानों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए है। बताते चलें कि अकादमिक जगत के विद्वानों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालयों में बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी शैली में परीक्षाएं आयोजित करना व्यावहारिक विकल्प नहीं है। क्योंकि इससे विद्यार्थियों के विश्लेषण कौशल की परख नहीं हो सकती तथा साहित्य जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों का नुकसान ही होगा।

सितम्बर तक सम्पन्न कराएं परीक्षाएं –
ऐसे में यूजीसी अधिकारियों ने कहा कि देश में 6000 से अधिक विश्वविद्यालय पहले ही अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं करवा चुके हैं या कराने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस माह के प्रारंभ में यूजीसी ने अपने संशेाधित दिशा-निर्देशों में उच्च शिक्षण संस्थानों को जुलाई 2020 के बजाय सितंबर 2020 में परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया था। यूजीसी ने पहले ये परीक्षाएं अप्रैल में कराने का निर्देश दिया था।

यहां पढ़े – सितंबर में अंतिम वर्ष की परीक्षा कराएगा इग्नू, यूजीसी की गाइडलाइंस बनेगी आधार

विरोध में कई राज्य –
वहीं यूजीसी के नए गाइडलाइंस से पंजाब , महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दिल्ली कोविड-19 की स्थिति का हवाला देते हुए पहले ही (सितंबर, 2020 में परीक्षाएं आयेाजित करने की) इस योजना पर अपनी आपत्ति जता चुके हैं। और परीक्षाओं को रद्द करने का आदेश भी दे चुके है।

अचानक न थोपे नई व्यवस्था –
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और कार्यकारी परिषद के सदस्य राजेश झा ने कहा, ” हमारे विद्यार्थी परीक्षा के नए स्वरूप के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें चीजों का विश्लेषण करने का पाठ पढ़ाया गया है और वे नए स्वरूप के लिए अपने आप को तैयार नहीं पाएंगे। अचानक आप कोई व्यवस्था नहीं थोप सकते। उसे लागू करने से पहले उसे परखना होगा। कोरोना वायरस का समय प्रयोग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

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