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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सूर्य ग्रहण के नकारात्मकता को सकारात्मक दिशा दें-“सूर्य नमस्कार से

प्रिय मित्रों सादर नमस्कार आप सभी का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के इस शुभ अवसर पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है ।आज कैसा संयोग है कि भुवन भास्कर आदित्य नारायण के प्रकाश को आच्छादित करते हुए राहु केतु जैसी विनाशकारी शक्ति ग्रहण का सहयोग बना रही है ,तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस जैसी महामारी संपूर्ण मानवीय सभ्यता को निगल लेना चाहती है परंतु क्या भवन भास्कर आदित्य को यह विनाशकारी शक्तियां ढक सकती है? तो इसका उत्तर होगा नहीं। ठीक उसी तरह इस समूचे विश्व को कोरोना वायरस जैसी महामारी अपने मायाजाल में लपेटे नकारात्मक अंधकार की तरफ ले जाने का प्रयास कर रही है परंतु इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय मनीषियों के मेधा के द्वारा प्रादुर्भत योग विद्या के अपनाने से सूर्यरूपी आत्म प्रकाश जागृत होगा । जिसके कारण आप इस अंधकार को दूर कर तेजस्वी और प्रकाशमान बनेंगे ।

यह कैसा संयोग है कि आज सूर्य ग्रहण है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी, जब भी सूर्य ग्रहण होता है तो भारतीय मान्यता के अनुसार हम वेद पाठ,मंत्रों का पाठ और योग अभ्यास के द्वारा अपने आत्म तत्व( सूर्य) को उद्भासित करने का प्रयास करते हैं सूर्यग्रहण के समय जो भी नकारात्मक तरंगे इस ब्रह्मांड में फैलती हैं, उसे निष्क्रिय करने के लिए हम मंत्रों का जाप करते हैं, योग का अभ्यास करते हैं,जिससे हमारा आत्म तत्व है जो सूर्य का ही प्रतिनिधि है ,का उत्थान होता है। आज समूचे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग अभ्यास के द्वारा अपने आत्म तत्व का उत्थान किया जा रहा है, निश्चय ही यह आत्म तत्व का उत्थान विभिन्न प्रकार की विनाशकारी आपदा महामारी से हमें बचाएगा और हमारे व्यक्तित्व को परिष्कृत करते हुए समुन्नत विश्व की संकल्पना को साकार करेगा। तो आओ हम सभी योगाभ्यास को एकांत में रहते हुए बिना किसी दिखावे के स्वयं के परिष्कार के लिए प्रारंभ करें और इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लें।

यदि हम इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेते हैं ,तो निश्चय ही हम उन्नत के उच्च शिखर पर पहुंचेंगे ।यहां यह देखने योग्य बात है कि योग का अभ्यास एकांत में बिना किसी दिखावे के साथ की करना चाहिए ।ऐसा योग शास्त्र की मान्यता है हम अपनी सिद्धियों का प्रचार प्रसार ना करें हम अपने अभ्यास का दिखावा ना करें ।आज यह संयोग बना है कि कोरोना वायरस के कारण अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हम सभी एकांत में ही योग कर रहे हैं। सामूहिक योगाभ्यास नहीं कर रहे हैं, परंतु हमारे विचारों की तरंगे एक साथ एक ही समय में इस ब्रह्मांड में जुड़ती जा रही है ।आज पूरा दिन अनेकों ऋषि यों मनीषियों द्वारा मंत्रों के उच्चारण के साथ विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित मंत्र का पाठ होगा वेदों का पाठ होगा ,दूसरी तरफ गृहस्थ साधक और सन्यासियों के द्वारा, योगियों के द्वारा योगाभ्यास के माध्यम से सकारात्मक तरंगों का निर्माण होगा। जो एकाकार होकर योग के उस समत्व योग की भावना को साकार करेगा जिसमें कहा गया है “सर्वभूत हिते रतः।

” यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि सूर्य ग्रहण के कारण नकारात्मक शक्तियां उत्पन्न होती हैं, उन्हें सकारात्मक दिशा देने के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास सूर्य ग्रहण के पश्चात भी करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के बाद में ब्रह्मांड में नकारात्मक शक्तियों का उद्भव होता है,अतः यदि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सूर्य ग्रहण के मोक्ष काल ( 2:03 से लेकर 3:04 तक) में हम सभी को सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं ,तो निश्चित ही हम सूर्य की सूर्य ग्रहण से उत्पन्न ना नकारात्मक शक्तियों को रूपांतरित करते हुए सकारात्मक दिशा में उसे उत्प्रेरित कर सकेंगे ।यदि हम इस किसी कारणवश इस अभ्यास को मोक्ष काल में नहीं कर पाते हैं तो भी हम आने वाले दिनों में प्रातः काल सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार कर अपने सकारात्मक ऊर्जा का उन्नयन कर सकते हैं और महामारी तथा विपदाओं से अपने को बचा सकते हैं।

 

लेखक- अंजनी कुमार दुबे योग विशेषज्ञ एवं प्राकृतिक चिकित्सक, काउंसलर (इग्नू क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ) हैं.

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