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HRD मंत्रालय ने गठित की कमेटी, स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया के लिए होगा काम

नई दिल्ली।

कोरोना महामारी वैश्विक महामारी घोषित है। आज सारा विश्व इस महामारी के प्रकोप से पीड़ित है। ऐसे में देश के छात्र जो विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करते है, उनके लिए अभी विदेश जा पाना कठिन डगर से कम नहीं है। इन्ही बातों को ध्यान में रखकर मानव संसाधन मंत्री ने मंत्रालय को यह कहा है कि वो ऐसे सभी विदेश जाने वाले छात्रों के लिए देश में ही बढ़िया विकल्प तलाशे। केंद्र सरकार ने विदेश में पढ़ाई की चाह रखने वाले युवाओं को देश में ही बेहतर शिक्षा के मौके उपलब्ध कराने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स को देश में रहें और यहीं पर रहकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके अलावा जो स्टूडेंट्स विदेश में पढ़ाई कर रहे थे और उनकी शिक्षा कोविड-19 संक्रमण की वजह से प्रभावित हुई है, उनके प्रोगाम को देश में रहकर पूरा करने के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाए। छात्रों को देश में ही अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके, ये सबसे महत्वपूर्ण है।

यूजीसी के चेयरमैन कर रहे है नेतृत्व –
बतात दे कि केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई इस कमेटी का नेतृत्व यूजीसी के चेयरमैन कर रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनाई जाने वाली समिति देश में शिक्षा के उचित अवसर प्रदान करने और कोविड-19 संक्रमण की वजह से विदेश से लौटने वाले छात्रों को उनके कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए उन्हें जरूरी सहायता प्रदान करने के लिए संबोधित करेगी। केंद्र सरकार ने इस पहल को ‘स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया’ का नया नारा दिया दिया है।

देश में मिले बढ़िया विकल्प –
बता दें कि इस मामले पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने समिति के गठन के संबंध में एक सत्र आयोजित किया था। मानव संसाधन विकास मंत्री ने इस दौरान कहा कि साल 2019 के दौरान लगभग 7.5 लाख छात्र अपनी पढ़ाई करने के लिए विदेश गए और इस वजह से मूल्यवान विदेशी मुद्रा भारत से बाहर चली गई और साथ ही साथ कई उज्ज्वल छात्र विदेश चले गए। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि छात्रों को देश में ही ज्यादा से ज्यादा बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएं। छात्रों को देश में बढ़िया विकल्प मिले ये हमारा लक्ष्य है।

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