जेएनयू में पीएम ने किया विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण, कहा राष्ट्रहित में ठीक नहीं विचारधाराओं का टकराव
नई दिल्ली :
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रशासनिक भवन में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित की गयी है जिसका अनावरण बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन माध्यम से किया। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित रहे।
स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार –
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि मेरी कामना है कि जेएनयू में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, दया सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है। ये प्रतिमा देश को युवाओं के नेतृत्व वाले विकास के विजन के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे।
आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है। यह स्वाभाविक भी है।
लेकिन हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं। pic.twitter.com/QRSQIBbmYI
— Narendra Modi (@narendramodi) November 12, 2020
21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने का समय –
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश का युवा दुनियाभर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर हैं। हमारे युवा भारत की संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपसे अपेक्षा सिर्फ हजारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है। अतीत में हमने दुनिया को क्या दिया, ये याद रखना और ये बताना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। इसी आत्मविश्वास के बल पर हमें भविष्य पर काम करना है। 21वीं सदी की दुनिया में भारत क्या योगदान देगा, ये हम सभी का दायित्व है।
सबसे बड़ा आधार है- विश्वास –
उन्होंने कहा कि आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उनके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है- विश्वास।
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इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई –
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कैंपस में एक लोकप्रिय जगह है- साबरमती ढाबा, आज तक आपके विचार की, डिबेट की, चर्चा की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी। अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है। जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।
अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था –
पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। मैं इसका प्रत्यक्ष गवाह हूं। आपातकाल के खिलाफ उस आंदोलन में कांग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे।आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे। इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था। जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है। स्वार्थ के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी गलत है।
प्रशासनिक भवन के पास प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय –
यह प्रतिमा पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा से भी तीन फीट ऊंची बनाई गई है। स्वामी विवेकानंद के विचारों को दुनिया भर में फैलाने की मुहिम में जुटे विपुल पटेल की पहल पर पांच साल पहले सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के पास स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया था।
अनावरण से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए –
प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री द्वारा किया। प्रतिमा के अनावरण से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। लोक गायिका मालिनी अवस्थी लोकगीतों का प्रस्तुतिकरण किया। साथ ही विवेकानंद मेमोरियल की वाइस प्रेसिडेंट कुमारी निवेदिता भी छात्रों को संबोधित किया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहें।