विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के सपने पर कोरोना संक्रमण का ग्रहण
नई दिल्ली।
कोरोना संक्रमण ने शैक्षणिक व्यवस्था को मानो चरमरा दिया है। परीक्षाओं में देरी के बाद अब विदेशों में पढ़ने का सपना देखने वाले शिक्षार्थियों के सपनों पर भी प्रश्न चिन्ह लगता दिखाई दे रहा है। वायरल संक्रमण के कारण विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की परीक्षा के रिजल्ट में देरी के चलते विदेश में उच्च शिक्षा का सपना देख रहे शिक्षार्थियों को 1 साल का इंतजार करना होगा।
असल में ब्रिटेन, आयरलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका कनाडा, स्वीडन व अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में 1 सितंबर से नया सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में भारतीय शिक्षार्थी दाखिले से चूक गए हैं। हाई स्ट्रीट इंटरनेशनल एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सचिन सक्सेना के मुताबिक विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीय शिक्षार्थी सितंबर सत्र में ही दाखिला ले लेते हैं क्योंकि इस दौरान 12 वीं और अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम की पढ़ाई करने वाले शिक्षार्थियों का रिजल्ट जारी हो चुका होता है। इससे पहले वे दाखिले से लेकर वीजा की कार्यवाही पूरी कर लेते हैं। हर साल करीब दो से ढाई लाख भारतीय विदेश में पढ़ाई के लिए जाते हैं, लेकिन इस वर्ष यह आंकड़ा महज 30 से 40,000 ही है। इस बार सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट 15 जुलाई और अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का रिजल्ट अक्टूबर या नवंबर तक जारी होगा। ऐसे में शिक्षार्थियों के पास अब जनवरी सत्र में दाखिला दाखिले का विकल्प होगा। हालांकि जनवरी सत्र में कुछ ही विश्वविद्यालय दाखिला लेते हैं। ऐसे में जनवरी सत्र में दाखिला लेने वाले शिक्षार्थियों को मनचाहे विश्वविद्यालय मिल पाने की संभावना कम ही है।