जाट छात्र संघ ने मनाया महाराजा जवाहर का 252वां बलिदान दिवस
अम्बाला। जाट छात्रसंघ ने शुक्रवार को महाराजा जवाहर सिंह का 252वां बलिदान दिवस मनाया। छात्रसंघ की ओर से साहिल सिंह बालियान के नेतृत्व में महाराजा को श्रद्धांजलि दी गई। बालियान ने बताया कि महाराजा जवाहर सिंह महाराजा सूरजमल के ज्येष्ठ पुत्र थे। जो एक महान योद्धा व देशभक्त थे। अपने पिता महाराजा सूरजमल की हत्या का बदला लेने के लिए महाराजा जवाहर सिंह ने 1763 में विशाल सेना लेकर दिल्ली की ओर कूच किया। इसमें सेना के साथ साथ आम जनता भी भागीदारी कर रही थी और दिल्ली की चारों ओर से नाकेबंदी कर दी। लाल किले को हाथियों की टक्कर से तोड़ा गया। जिसमें महाराज जवाहर सिंह के महान योद्धा पाखरिया खुटेला काम आए।
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दिल्ली सल्तनत को जीतकर वहां से भरपूर धन दौलत व चित्तौड़गढ़ किले वाले दरवाजे लालकिले से उखाड़कर अपने साथ भरतपुर ले गए थे। लालकिले के यह दरवाजे आज भी भरतपुर के संग्रहालय में रखे हैं। उन्होंने बताया कि वह हिन्दुस्तान में पहले वीर शासक थे, जिन्होंने मुगल बादशाहत को चुनौती दी और जीत हासिल की। 1825 में आगरा के पास हुए युद्ध में किसी अज्ञात सैनिक ने जवाहर सिंह का धोखे से वध कर दिया। माैके पर हर्ष ढिल्लों, मनजोत सिंह औजला, अमन धौलरा, दीपेंद्र धौलरा, दल्ली धौलरा, जसबीर धौलरा, जयसिंह ढिल्लों व प्रदीपसिंह एडवोकेट मौजूद रहे।