नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने दिया बयान, जानिए में कब से लागू होगी ?
बंगलुरु। कर्नाटक में नई शिक्षा नीति को अगस्त से लागू किया जाएगा। इस बात की जानकारी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने दी है। उनका कहना है कि सूबे में राज्य नीति के एक मसौदे के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विलय करके अगस्त से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह के भीतर सूबे की नीति और नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को विलय करके कर्नाटक के लिए एक अलग शिक्षा नीति लाई जाएगी। एनईपी मसौदा समिति के अध्यक्ष कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के साथ एक वीडियो सम्मेलन में शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने इस बात का खुलासा किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सूबा शिक्षा नीति को व्यवस्थित रूप से लागू करने में सबसे आगे होगा। एनईपी एक पूर्ण नीति है। कर्नाटक सरकार ने पहले ही केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। इसे कैसे लागू किया जाए इस पर एक बैठक की है। इसके साथ ही एनईपी 2020 को स्वीकार करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने जानकारी दी है कि कि नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए NEP 2020 के सदस्यों के साथ बैठक हुई है। इसके लिए एक टास्ट फोर्स बनाया गया है, जो कि 16 अगस्त को कार्ययोजना और 20 अगस्त को विस्तृत कार्ययोजना पेश करेगी।
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गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) को मंजूरी दी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने घोषणा करते हुए कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक होगा व एमफिल को खत्म किया जाएगा। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच (NETF) बनाया जाएगा। ई-पाठ्यक्रम (ई-कोर्सेस) शुरू में आठ क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित होंगे और वर्चुअल लैब विकसित की जाएगी।
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में कई अहम बदलाव हुए हैं और ये के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 1986 में ड्राफ्ट हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन (अपडेट) हुआ एवं करीब 34 साल बाद 2020 में इसमें कई अहम व महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिसे इसके 108 पेजों के ड्राफ्ट में 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति बताया गया है, जिसका लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करना है।