जानिये मनोज सिन्हा का छात्र संघ अध्यक्ष से लेकर जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल बनने तक का सियासी सफर
वाराणसी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का नया उप राज्यपाल बना दिया गया है। मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं औरर गाजीपुर से तीन बार सांसद भी रहे। 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह रेल राज्यमंत्री बनाए गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब यूपी में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिला तो मनोज सिन्हा मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा – बसपा गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी के हाथों उन्हें शिकस्त खानी पड़ी । मनोज सिन्हा ने बीएचयू छात्र संघ से अपना सियासी सफर शुरू किया औरर केन्द्रीय मंत्री से लेकर अब उपराज्यपाल के पद तक पहुंचे हैं।
मनोज सिन्हा का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद तहसील अन्तर्गत मोहनपुरा गांव के साधारण परिवार में हुआ था। शुरुआती शिक्षा उन्होंने गाजीपुर से ही हासिल की । मोहनपुरा गांव में ही प्राथमिक विद्यालय से उनकी पढ़ाई शुरू हुई औरर इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने गाजीपुर जिले में ही पूरी की । इसके बाद आगे की उच्च शिक्षा के लिये बनारस हिंदू युनिवर्सिटी का रुख किया। बीएचयू से मनोज सिन्हा ने एमटेक की डिग्री हासिल की।
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मनोज सिन्हा का सियासी सफर यूं तो बीएचयू छत्रसंघ से शुरू हुआ, लेकिन बीएचयू आने के पहले गाजीपुर में ही विश्व हिंदू परिषद के सम्पर्क में आ गए थे। उसके कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे औरर वहीं से इनके अंदर एक सियासी समझ भी डेवेलप होने लगी। उनकी सियासत की महत्वकांक्षा को पंख लगे बीएचयू आने के बाद । यहां एक तरफ उन्होंने बीटेक औरर एमटेक की डिग्री हासिल की तो दूसरी ओर बीएचयू छात्रसंघ की राजनीति का हिस्सा बने औरर छात्रसंघ अध्यक्ष जीते।
छात्र संघ अध्यक्ष रहते हुए मनोज सिन्हा को कई सरकारी विभागों से नौकरी का ऑफर मिलता रहा , लेकिन तब तक उनका रुझान पूरी तरह राजनीति की ओर हो चुका था और वह राजनीती को ही अपना करियर बनाने का संकल्प कर चुके थे। निरंतर राजनीतिक गतिविधियों में अहम भूमिका निभाने करने का नतीजा था कि मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए।
सिन्हा 1996 तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने रहे । 1996 में वह गाजीपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे । इसके बाद उन्होंने 1999 का लोकसभा चुनाव भी जीता। हालांकि 2004 में उन्हें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी औरर बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के हाथों हार का सामना पड़ा। मनोज सिन्हा फिर लौटे औरर 2014 की मोदी लहर में गाजीपुर से लोकसभा चुनाव जीते।
नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें संचार एवं रेल राज्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी गई। एक समय वह भी आया जब माना जा रहा था कि उन्हें केन्द्र से निकालकर यूपी की जिम्मेदारी दी जाएगी। 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत से यूपी विधानसभा का चुनाव जीतकर आई तो राजनाथ सिंह के मना करने के बाद मनोज सिन्हा यूपी के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे थे। हालांकि वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा – बसपा गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी के हाथों मनोज सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है , लेकिन शायद पार्टी ने उनके लिये कुछ औरर सोच रखा था। अब उन्हें जम्मू कश्मीर का नया उपराज्यपाल बनाया गया है।
मनोज सिन्हा ने अपने सियासी सफर में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। अपने सियासी करियर में उन्होंने कई बार हार का मुंह देखा, लेकिन हार बार हार के बाद उठ खड़े हुए औरर जीत का स्वाद चखा। सांसद से लेकर मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके मनोज सिन्हा के लिये जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल का पद नई चुनौतियों के साथ नया करने का मौका भी है।