महाराष्ट्र सरकार अंतिम वर्ष की परीक्षा न कराने के अपने रुख पर कायम, कोर्ट ने मंगलवार तक हलफनामा दाखिल करने को कहा
नई दिल्ली।
यूजीसी ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से यह अनुरोध किया था कि वे अपने यहां के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से कराये व सितंबर के अंत तक देश के सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करानी हैं। वहीं यूजीसी की गाइडलाइंस के बावजूद महाराष्ट्र सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं न कराने के अपने रुख पर कायम है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपने फैसले को दोहराते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी की स्थिति में वह किसी भी अंतिम वर्ष, प्रोफेशनल कोर्स या नॉन-प्रोफेशनल कोर्स की परीक्षा कराने की अनुमति नहीं देगी। राज्य सरकार ने परीक्षा रद्द करने और परीक्षा आयोजित करने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की बेंच को अपने निर्णय से अवगत कराया। आपको बता दें कि एक याचिकाकर्ता के वकील डॉ. उदय वरुन्जिकर ने कहा कि परीक्षा का आयोजन न करके स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ समझौता किया गया है। ऐसे में उनके हितों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त दिशा निर्देश जारी किए जाने चाहिए।
अगली सुनवाई 31 जुलाई को –
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट कुलदीप निकम ने 3 अगस्त से शुरू होने जा रहे डेंटल कोर्स एग्जाम से अंतरिम राहत की मांग की। कुलदीप निकम ने कहा कि या तो एग्जाम रद्द होने चाहिए या फिर वह ऑनलाइन होने चाहिए। कई याचिकाओं के चलते किसी तरह की कंफ्यूजन से बचने के लिए एडवोकेट जनरल आशुतोष कुम्भकोनी ने कहा कि सभी याचिकाओं, जनहित याचिकाओं, हस्तक्षेप के आवेदनों को एक साथ कंपाइल किया जाना चाहिए ताकि कोर्ट इन पर निर्देश जारी कर सके। कोर्ट ने राज्य के सुझाव को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को मंगलवार तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।