जानें आदिवासी परिवार से आने वाली स्मिता नागेशिया के बारे में, हौसले से भर देगी इनके अफसर बनने की कहानी
नई दिल्ली : सफलता व्यक्ति को जन सामान्य से विशिष्ट बनाती है. साथ ही, औरों के अंतर्मन में प्रेरणा के बीज भी अंकुरित करती है. स्मिता नागेशिया के कीर्तिमान ने इसमें एक और कहानी जोड़ दी है. झारखंड के 32 जनजातियों में से एक हैं नगेशिसिया जनजाति. स्मिता बताती हैं जब सुना कि नगेशिसिया समाज से अब तक किसी ने सिविल सर्विसेस परीक्षा पास नहीं की है तो ठान लिया कि मैं करूंगी. झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा का परिणाम हाल ही में घोषित हुआ है. जिसमें स्मिता नागेशिया ने बाजी मारी है. नागेशिया जनजाति का एक नाम किसान भी है.
छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश बिहार झारखंड में यह जनजाति मिलती है. झारखंड में करीब 32,000 की आबादी है. पलामू के पाठ इलाकों में बसाहट है. स्मिता लातेहार के स्मिता लातेहार के महुआ डांड के मशहूर कई पाठकों की रहने वाली है. स्मिता ने जेपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. प्रशासनिक सेवा में उनका चयन हुआ है. वह अपने समुदाय की पहली बेटी बनी जो झारखंड लोक सेवा आयोग में चयनित होकर अफसर बनी है.
पूरे समुदाय के लिए यह गर्व की बात है. स्मिता नागेशिया बताती हैं कि शुरुआती पढ़ाई तो रांची के अर्थ लाइन स्कूल से हुई. उसके बाद संत सेंट ज़ेवियर कॉलेज रांची से फिर भुवनेश्वर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. हैदराबाद में नौकरी लग गई लेकिन जब सुना कि मेरे समाज की कोई बेटी अब तक सिविल सर्विसेस में क्वालीफाई नहीं कर सकी, तो प्रण किया कि मुझे इसमें सफलता प्राप्त करनी है. मैं सिविल सर्विसेस पास करके दिखाऊंगी. नौकरी छोड़कर रांची आकर तैयारी शुरू कर दी. करीब 5 साल तैयारी और दृढ़ता से किए गए प्रयासों के परिणाम सामने है.