महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के प्रारूप में नहीं होगा कोई परिवर्तन, बैठक में लिया गया निर्णय
लखनऊ।
यूजीसी ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से यह अनुरोध किया है कि वे अपने यहां के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से कराये व सितंबर के अंत तक देश के सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करानी हैं। हाल ही में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि आयोग द्वारा निर्धारित समय में हर राज्यों के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को परीक्षा कराना अनिवार्य है। वहीं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अंतिम सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के प्रारूप में बदलाव न करने पर निर्णय हुआ है। अभी तक छात्र जिस पैटर्न पर परीक्षा देते हैं, उसी पैटर्न पर बची हुई परीक्षाएं ली जायेगीं। उक्त सहमति मंगलवार को विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्षों की बैठक में बनी बैठक बनी। परीक्षा सितंबर में होने की संभावना है। इसमें करीब 85000 छात्र शामिल होंगे। छात्रों को किसी प्रकार से परीक्षा पैटर्न में दिक्कत न हो इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
छात्रों की प्रोन्नति शासन के अनुसार –
वहीं यह संभावना जताई जा रही थी कि पेपर का पैटर्न बदला जाएगा। प्रश्नपत्र की अवधि घटाई जाएगी। OMR शीट पर भी परीक्षा कराने की तैयारी चल रही थी। मगर इस पर सहमति नहीं बनी। आधी परीक्षा किसी और पैटर्न और आधी किसी दूसरे पैटर्न पर कराने में दिक्कत आएगी। परीक्षा विभाग जल्द ही केंद्रों का निर्धारण करेगा। अब केंद्रो की संख्या बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब सिर्फ अंतिम वर्ष की परीक्षाएं होनी है, इसलिए परीक्षार्थियों की संख्या काफी कम रहेगी। अगर सभी छात्रों की परीक्षा करानी होती तो सोशल डिस्टेंसिंग के साथ से परीक्षा केंद्रों की संख्या काफी अधिक होती। यह भी तय किया गया कि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों की प्रोन्नति शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होगी। इस सिलसिले में जल्द परीक्षा समिति की बैठक बुलाई जाएगी।
ऑनलाइन क्लासेज व ई-कंटेट तैयार पर हुयी चर्चा –
वहीं इस बैठक में ऑनलाइन क्लासेज चलाने और ई-कंटेट तैयार करने के मुद्दे पर पर भी चर्चा हुई। कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि जिन शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बैठक में कुलसचिव डॉ. साहब लाल मौर्य, परीक्षा नियंत्रक डॉ. कुलदीप सिंह और समस्त विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष मौजूद थे। सभी ने छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही फैसला लेने पर बल दिया।