अब योग और प्राकृतिक चिकित्सा में लखनऊ विश्वविद्यालय से कर सकेंगे पीएचडी
लखनऊ. योग और प्राकृतिक चिकित्सा में डॉक्टरेट करने के लिए अब लोगों को कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा। गुरुवार को की गई घोषणा के अनुसार लखनऊ विश्वविद्यालय संकाय के दो घटक विभागों में स्व वित्त पोषित पाठ्यक्रम चलाएगा और स्नातक और स्नातकोत्तर पीजी डिप्लोमा एकीकृत 5 साल का कार्यक्रम और पीएचडी कार्यक्रम चलाएगा। योग विभाग में स्नातक कार्यक्रम में 7 सीटें होंगी। स्नातकोत्तर और डिप्लोमा में क्रमशः 50 और 40 सीटें होंगी। प्राकृतिक प्राकृतिक चिकित्सा विभाग में बी एन वाई एस बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस साइंस की स्नातक डिग्री में 60 सीटें होंगी और पीजी डिप्लोमा में 40 सीटें रखी गई है। विश्वविद्यालय में वर्तमान में चल रहे मानव चेतना और योग संस्थान को नए संकाय के साथ मिला दिया जाएगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स एंड इनफेक्शियस डिजीज (IAMGID) नामक एक अन्य विषय अनुसंधान शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान भी शुरू कर रहा है। संस्थान का आणविक स्तर पर डीएनए विश्लेषण, आरएनए, विश्लेषण आदि जैसे विषयों में शिक्षण प्रशिक्षण और अनुसंधान के तीन प्रमुख लक्ष्य होंगे। इसके साथ ही संक्रामक रोगों के आणविक जीव विज्ञान को समझना और उनसे संबंधित तकनीकों जैसे रियल टाइम पीसीआर (पॉलीमर ए पॉलीमर चेन रिएक्शन)
इलेक्ट्रोफॉरेसिस, एचपीएलसी, हाइपरफारमेंस, लिक्विड, क्रोमेटोग्राफी, मांस, स्पेक्ट्रोमेट्री आदि में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करना भी इसके लक्षणों में सम्मिलित होगा। संस्थान अनुवांशिकी और संक्रामक रोगों के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम कार्यशाला सेमिनार प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम आज भी प्रदान करेगा। आईएएमजीआईडी (IAMGID) जागरूकता अभियान और सामुदायिक आउटरीच गतिविधियों की की प्रस्तुति भी की जाएगी।