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संस्कृत भारत की आत्मा : वाचस्पति मिश्र

वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में हुआ गोष्ठी का आयोजन

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की ओर से वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष वाचस्पति मिश्र, विशिष्ट अतिथि द्वय प्राचार्य बाबा दौलत गिरि संस्कृत महाविद्यालय लखनऊ, सदस्य उत्तर प्रदेश संस्कृत माध्यमिक परिषद् उत्तर प्रदेश तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में ही सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य पूर्व विभागाध्यक्ष संस्कृत जुहारी देवीगर्ल्स पी जी महाविद्यालय कानपुर रहे।

मुख्य अतिथि डॉ वाचस्पति मिश्र ने संस्कृत एवं संस्कृति के सात सूत्रों पर प्रकाश डालते हुए उसके तात्पर्य पर प्रकाश डाला। कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है। विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डॉ विनोद मिश्र ने संस्कृत भाषा के पठन पाठन संभाषण तथा श्रवण की महत्ता को व्याख्यायित किया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ रेखा शुक्ला ने वाल्मीकि रामायण में समरसता तथा भोगवादी राक्षसी संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया और महाकवि वाल्मीकि के काव्य की सामाजिक समरसता को वर्णित किया।

डॉ ऋषभ मिश्र (सहायक आचार्य शिक्षा शास्त्र) ने अतिथियों को अंगवस्त्रम प्रदान कर स्वागत किया। दीप प्रज्ज्वलन मंत्र छात्रा सृष्टि यादव व प्रतिष्ठा नाग द्वारा सरस्वती गीत प्रस्तुत किया गया।

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स्वागत गान अंशु ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रभारी प्राचार्य डॉ गीताली रस्तोगी ने किया।

इस अवसर पर संस्कृत विभाग की छात्राओं के द्वारा महाकवि वाल्मीकि के आदि छन्द पर सुन्दर नाट्य प्रस्तुति संस्कृत भाषा के माध्यम से की, जिनका निर्देशन संस्कृत संस्थान के अंशु कुमार ने किया तथा विषय प्रवर्तन डॉ वन्दना द्विवेदी संस्कृत विभाग द्वारा किया गया। छात्राओं को पुरस्कार स्वरूप मेडल तथा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर डॉ सुनीता सिंह, डॉ शर्मिता नन्दी, डॉ अमिता रानी सिंह, डॉ मंजुला यादव, डॉ विनीता सिंह, डा नीतू सिंह तथा डॉ ऐश्वर्या सिंह उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ वन्दना द्विवेदी द्वारा किया गया।

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