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कुलपतियों की रिपोर्ट ने खोली पोल, चुनौती साबित हो रही है ऑनलाइन परीक्षा!

नई दिल्ली. कोरोना महामारी से स्तब्ध हुई पूरी शिक्षण व्यवस्था को को जब तक हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाते तब तलक ऑनलाइन शिक्षण का ही सहारा है। लेकिन प्रैक्टिकल क्लास से ऑनलाइन शिक्षण के ट्रैक पर आना इतना सहज भी नहीं हैl कमसकम ऑनलाइन परीक्षाओं को लेकर कुलपतियों की कमेटी की रिपोर्ट तो यही बता रही है।

लॉकडाउन के समय पर परीक्षा और परिणाम देना सभी राज्य विश्वविद्यालय के लिए बड़ी चुनौती सिद्ध हो रहा है l क्योंकि ज्यादातर विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि ग्रामीण होने से ऑनलाइन परीक्षा कराना आसान नहीं है यह काफी खर्चीला भी है। यह मानना है। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की ओर से गठित कुलपतियों की कमेटी का l जिसमें अपनी रिपोर्ट में इसे व्यावहारिक बताया है।

पूर्णरूपेण बंदी के दौरान ऑनलाइन कोर्स पूरा कराकर ऑनलाइन परीक्षा करा के नए सत्र 2020-21 को व्यवस्थित रखने के लिए कुलाधिपति ने एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इसमें गोरखपुर विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय,मेरठ विश्वविद्यालय, नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ बनारस के कुलपति ने राज्यपाल को सौंपी। रिपोर्ट में कहा है कि शैक्षणिक कैलेंडर की भरपाई के लिए कक्षाओं का समय बढ़ाया जाए। शनिवार रविवार छुट्टियों के दिन में 1 दिन की छुट्टी दी जाए। लोअर डाउन के पहले की हाजरी को आधार मानकर इंटरनल मार्क्स दिए जाएं। इंटरनेशल कभी ऑनलाइन कराई जाए।

सुझाव कमेटी ने ऑनलाइन वार्षिक परीक्षा को ज्यादा व्यावहारिक नहीं माना है। कहा काफी स्टूडेंट्स ग्रामीण परिक्षेत्र से हैं। उनके लिए काफी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ेगी। सभी विश्वविद्यालय पहले अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स की और फिर अन्य की परीक्षा कराएं। परीक्षा तीन पालिया में हो पेपर 2 घंटे के कराए जाएं। बहुत जरूरी हो तो बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित परीक्षा कराएं। मूल्यांकन डिजिटल हो, इससे परिणाम जल्द आएगा। यदि यह संभव ना हो तो केंद्रीय मूल्यांकन केंद्र न बनाकर विकेंद्रीकृत व्यवस्था की जाए।शोध छात्रों को लॉकडाउन की अवधि का अतिरिक्त समय दिया जाए। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि इन बदलावों को लागू करने से पहले छात्र व शिक्षक संगठनों से भी चर्चा कर ली जाए, जिससे बाद में कोई विवाद उत्पन्न ना हो।

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