इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने के खिलाफ शिक्षक लामबंद
नई दिल्ली. लॉकडाउन के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है. एचआरडी मंत्रालय ने पत्र भेजकर नाम बदलने के मुद्दे पर कार्य परिषद के सदस्यों की ई-मेल के जरिए राय लेने को कहा है. मंत्रालय के पत्र का संज्ञान लेते हुए इविवि के रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला ने सभी सदस्यों को ई-मेल भेजकर उनकी राय मांगी है.
इस बीच, विश्वविद्यालय के सेवानिवृत और सेवारत शिक्षक नाम बदलने के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. इविवि विज्ञान संकाय के डीन रहे प्रो. एके श्रीवास्तव ने फेसबुक के जरिए नाम बदलने का विरोध किया है. उन्होंने कई ठोस तर्क देते हुए कहा है कि इविवि का नाम बदलने से छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों और समाज को कोई फायदा नहीं होगा, अलबत्ता पढ़ाई कर रहे और कर चुके शिक्षकों, छात्रों और शोधार्थियों के सामने कई कठिनाई खड़ी हो जाएंगी. बकौल, प्रो. श्रीवास्तव देश के चार प्राचीन विवि में मद्रास विवि, कलकत्ता विवि, बम्बई विवि और इलाहाबाद विवि शामिल हैं.
प्रो. श्रीवास्तव कहते हैं कि राजनीतिक आधार पर शहरों के नाम बदले गए हैं. कलकत्ता का नाम कोलकाता, मद्रास का नाम चेन्नई और बम्बई का नाम बदलकर मुम्बई कर दिया गया, लेकिन इन शहरों में स्थित तीन सबसे पुराने विश्वविद्यालयों के नाम नहीं बदले गए। ऐसे में इविवि का नाम बदलने की आखिर क्या जरूरत है. प्रो. श्रीवास्तव की इस फेसबुक पोस्ट को 22 घंटे में 17 लोगों ने शेयर करते हुए 89 लोगों ने कमेंट किए हैं. खास बात यह है कि कमेंट करने वाले कुछ एक लोगों को छोड़ ज्यादातर ने प्रो. श्रीवास्तव का समर्थन करते हुए इविवि का नाम बदलने का विरोध किया.
कौशाम्बी के सांसद विनोद सोनकर और फूलपुर की सांसद केसरी देवी पटेल इविवि का नाम बदलने का मुद्दा सदन में उठा चुकी हैं. यूपी के मुख्य सचिव और निवर्तमान मंडलायुक्त डॉ. आशीष गोयल की ओर से भी जिले का नाम बदले जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय का हवाला देते हुए इविवि का नाम बदलने को लेकर एचआरडी मंत्रालय को पत्र लिखा गया था, जिसका संज्ञान लेते हुए एचआरडी मंत्रालय ने पिछले दिनों इविवि में पत्र भेजा था. मार्च में इविवि कार्य परिषद की जो बैठक प्रस्तावित थी, उसके एजेंडे में नाम बदलने का मुद्दा भी शामिल था.