सीएए को कोर्स में शामिल करने पर विचार कर रही लखनऊ यूनिवर्सिटी, कई दलों ने किया विरोध
लखनऊ. समाचार पोर्टल दिप्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को सिलेबस में शामिल करने की तैयारी चल रही है. इसको लेकर पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके अनुसार चॉइस बेस्ड सब्जेक्ट में आज के राजनीतिक मुद्दे शामिल किये जायेंगे. इनमें सीएए, धारा 370 समेत तमाम मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से जुड़े मुद्दे होंगे.
दिप्रिंट ने दावा किया है कि पॉलिटिकल सांइस की ओर से बने प्रपोजल में सीएए की पढ़ाई को चॉइस बेस्ड सब्जेक्ट में शामिल करने की बात कही गई है. जिसे चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत लागू किया जा सकता है. सबजेक्ट का नाम ‘आज की राजनीति के सम-समायिक मुद्दे’ होगा और उसमें सीएए समेत तमाम चर्चित मुद्दे होंगे. हाल ही में लखनऊ यूनिवर्सिटी ने पीजी कोर्सेज व पीएचडी में सीबीसीएस लागू करने की बात कही थी. इसी के तहत पाॅलिटिकल साइंस विभाग में नया सब्जेक्ट लाने का प्रपोजल तैयार किया गया है. वहीं, सीएए के मुद्दे पर विभाग में छात्रों के बीच डिबेट करवाने पर भी विचार चल रहा है.
बता दें कि इस मामलों में बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि सीएए पर बहस आदि तो ठीक है. लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित. बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी.’
समाजवादी पार्टी की स्टूडेंट यूनियन समाजवादी छात्रसभा भी इसके विरोध में उतर आई है. प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव ने दिप्रिंट से कहा कि समाजवादी छात्रसभा शुरुआत से ही सीएए के खिलाफ ये लड़ाई लड़ रही है और आगे भी जारी रखेंगे. लखनऊ यूनिवर्सिटी पाॅलिटिकल प्रेशर में ऐसा कर रहा है. डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा खुद लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे हैं. ऐसे तमाम लोग सरकार में हैं जो यूनिवर्सिटी में अपना एजेंडा चलवा रहे हैं. फिलहाल ऐसा कोई कोर्स अभी नहीं आया है. लेकिन जब भी आएगा तो हम इसका विरोध कैंपस में भी करेंगे.