जेएनयू में डिजिटल मोड के माध्यम से शोध प्रबंध और थीसिस प्रस्तुत कर सकेंगे शोधार्थी
नई दिल्ली।
कोरोना माहमारी के कारण कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन कक्षाएं लेने को कहा गया है। ऐसे में सभी विश्वविद्यालय व कॉलेज डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दे रहे है। डिजिटल के प्रसार व प्रचार के लिए कई डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकार द्वारा उपलब्ध भी कराएं गए है। ऐसे में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने गुरुवार को एम.फिल, एम.टेक के शोध प्रबंध और पीएचडी शोध के डिजिटल प्रस्तुतीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जेएनयू के रेक्टर -1 के प्रोफेसर चिंतामणि महापात्रा के एक बयान के अनुसार, इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की 286वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में मंजूरी दी गई है। अब जेएनयू डिजिटल मोड के माध्यम से शोध प्रबंध और थीसिस प्रस्तुत करने की इस नई प्रक्रिया को शुरू करने के लिए भारत में कदम उठाएगा। विश्वविद्यालय के अनुसंधान विद्वानों द्वारा मूल्यांकन के लिए एमफिल शोध प्रबंधों, एमटेक शोध प्रबंधों और पीएचडी शोधों को प्रस्तुत करने की समयबद्ध, बाधारहित और बहुत सुविधाजनक प्रक्रिया की सुविधा होगी। शोधार्थी ऑनलाइन ही अपने शोध आसानी से प्रस्तुत कर सकेंगे।
ऑनलाइन थिसिस-ट्रैकिंग सिस्टम –
वहीं जेएनयू ने पहले से ही एक ऑनलाइन थिसिस-ट्रैकिंग सिस्टम रखा है। कोरोना वायरस महामारी से पहले भी विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने अनुसंधान की डिग्री के पुरस्कार के लिए वाइवा वॉयस परीक्षा आयोजित करने को अधिकृत किया था। जारी बयान में कहा गया है कि डॉक्टरेट की उपाधियों के लिए 150 से अधिक वाइवा वॉयस परीक्षण महामारी के दौरान ऑनलाइन आयोजित किए गए हैं।
नो ड्यूज मंजूरी के लिए नहीं होगी परेशानी –
बताते चलें कि शोध प्रबंधों और शोधपत्रों को ऑनलाइन जमा करने की प्रक्रिया में स्टूडेंट्स द्वारा ‘नो ड्यूज क्लीयरेंस’ फॉर्म जमा करना शामिल है। स्कूल या केंद्र कार्यालय ऑनलाइन स्टूडेंट्स के लिए प्रासंगिक मंजूरी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेंगे। स्टूडेंट्स को अब नई प्रक्रिया के तहत नो ड्यूज मंजूरी प्राप्त करने के लिए भौतिक रूप से एक जगह से दूसरी जगह नहीं जाना होगा।