यूपी में नई शिक्षा नीति की गाइडलाइन लागू करने की तैयारी शुरू, गठित होगी स्कूल स्टैंडर्ड अथॉरिटी
लखनऊ। नई शिक्षा नीति को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा हरी झंडी दिए जाने के बाद अब उत्तर प्रदेश में इसकी गाइडलाइन को जल्द लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति से बड़ा बदलाव लाया जाएगा। शिक्षा के स्तर में सुधार के साथ एक समान शिक्षा से गुणवत्ता में काफी सुधार होगा। फिलहाल यूपी में शिक्षा विभाग की ओर से नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए अधिकारियों ने काम शुरू कर दिया है। जल्द स्कूल स्टैंडर्ड अथारिटी का गठन किया जाएगा। स्कूलों में गुणवत्ता पर यह अथारिटी पूरी तरह नजर रखेगी।
उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकल पर प्रभावी नकेल कसने के बाद अब स्कूलों में बेहतर ढंग से पढ़ाई पर पूरा फोकस किया जा रहा है। वहीं मातृ भाषा को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्कूल व उच्च शिक्षा में संस्कृत का विकल्प दिया जाएगा। विद्यार्थी सेकेंड्री लेवल तक विदेशी भाषाओं को आसानी से पढ़ सकेंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसपी सिंह कहते हैं कि नई शिक्षा नीति सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए एक समान अवसर दिलाने में मील का पत्थर साबित होगी। विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए इसमें कई बेहतर प्रावधान किए गए हैं। इसमें सभी राज्यों को अपना पाठ्यक्रम तैयार करने की छूट देना, वरिष्ठ व सेवानिवृत्त अध्यापकों का पूल तैयार करना और अध्यापकों के लिए कामन नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड तैयार करने जैसे कई अच्छे फैसले शामिल हैं, निश्चित तौर पर इससे शिक्षा की गुणवत्ता में काफी इजाफा होगा।
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लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि पांचवीं तक मातृभाषा में पढ़ाई और स्नातक तक एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करने काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 2030 के बाद तीन वर्षीय बीड खत्म कर चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड शुरू किए जाने से योग्य अध्यापकों की पौध तैयार होगी।
बस्ते का बोझ होगा कम
नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी में जुटे यूपी के शिक्षा विभाग के अधिकारी विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए अभी से मंथन में जुट गए हैं। पाठ्यक्रम में शामिल आउटडेटेड विषयों को बाहर किया जाएगा। किताबों की संख्या भी कम होगी।
फीस पर कसेगी लगाम
अभी यूपी में उप्र स्वावित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियम) 2018 लागू है। इसके माध्यम से निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर रोक लगाई गई है। आगे नई शिक्षा नीति के अनुसार इस व्यवस्था को और पारदर्शी बनाया जाएगा।