Indian News

तेलंगाना के सीएम (केसीआर) ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के नाम में नरसिम्हा राव जोड़ने का किया अनुरोध

नई दिल्ली।

तेलंगाना सरकार ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जन्मशती के उपलक्ष्य पर सालभर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने नरसिम्हा राव को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समकक्ष रखते हुए दिवंगत नेता को “भारत रत्न” प्रदान करने की मांग की है।
वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्बकुंतल चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह भी अनुरोध किया कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम में पूर्व प्रधानमंत्री पामुलपर्ति वेंकट (पी.वी.) नरसिम्हा राव का नाम जोड़ा जाए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि स्थानीय जनता की पुरजोर मांग है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम ‘पीवी नरसिम्हा राव हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय’ किया जाए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि स्थानीय जनता की पुरजोर मांग है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम ‘पीवी नरसिम्हा राव हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय’ किया जाए।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने नरसिम्हा राव 99वीं जयंती के अवसर पर यहां स्थित उनकी समाधि ‘पीवी ज्ञान भूमि’ पर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि वह तेलंगाना के “गौरवशाली पुत्र” थे। उन्होंने देश में साहसिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने सहित उनके योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि नरसिम्हा राव को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।
सीएम ने उनकी जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले समारोह की शुरुआत करते हुये उनकी स्मृति में कई कार्यक्रमों की घोषणा की है। चंद्रशेखर राव ने कहा कि कांग्रेस के दिवंगत नेता को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने 1991-96 के अपने कार्यकाल के दौरान नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया और कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए।

परिचय – (श्री पी. वी. नरसिंह राव)

श्री पी. रंगा राव के पुत्र श्री पी.वी. नरसिंह राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय एवं नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। श्री पी.वी. नरसिंह राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं।

पेशे से कृषि विशेषज्ञ एवं वकील श्री राव राजनीति में आए एवं कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून एवं सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून एवं विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री एवं 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1975 से 76 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव, 1968 से 74 तक आंध्र प्रदेश के तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष एवं 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष रहे। वे 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य, 1977 से 84 तक लोकसभा के सदस्य रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के तौर पर 1978-79 में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के एशियाई एवं अफ्रीकी अध्ययन स्कूल द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया पर हुए एक सम्मेलन में भाग लिया। श्री राव भारतीय विद्या भवन के आंध्र केंद्र के भी अध्यक्ष रहे। वे 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने 5 नवंबर 1984 से योजना मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था। 25 सितम्बर 1985 से उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार संभाला।

श्री राव संगीत, सिनेमा एवं नाटकशाला में रुचि रखते थे। भारतीय दर्शन एवं संस्कृति, कथा साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने, भाषाएँ सीखने, तेलुगू एवं हिंदी में कविताएं लिखने एवं साहित्य में उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने स्वर्गीय श्री विश्वनाथ सत्यनारायण के प्रसिद्ध तेलुगु उपन्यास ‘वेई पदागालू’ के हिंदी अनुवाद ‘सहस्रफन’ एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित स्वर्गीय श्री हरि नारायण आप्टे के प्रसिद्ध मराठी उपन्यास “पान लक्षत कोन घेटो” के तेलुगू अनुवाद ‘अंबाला जीवितम’ को सफलतापूर्वक प्रकाशित किया। उन्होंने कई प्रमुख पुस्तकों का मराठी से तेलुगू एवं तेलुगु से हिंदी में अनुवाद किया एवं विभिन्न पत्रिकाओं में कई लेख एक उपनाम के अन्दर प्रकाशित किया। उन्होंने राजनीतिक मामलों एवं संबद्ध विषयों पर संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम जर्मनी के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिया। विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने 1974 में ब्रिटेन, पश्चिम जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली और मिस्र इत्यादि देशों की यात्रा की।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button