इस शख्स ने 93 साल की उम्र में हासिल की मास्टर्स की डिग्री, बने IGNOU के सबसे उम्रदराज स्टूडेंट
नई दिल्ली. पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती और इंसान चाहे तो किसी भी उम्र में अपने सपनों को पूरा कर सकता है. इसी बात का उदाहरण हैं 93 साल के सीआई शिवासुब्रमण्यम जिन्होंने अब मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने 93 साल की उम्र में IGNOU से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है और इसी के साथ वह इग्नू के इस बार के दीक्षांत समारोह के सबसे उम्रदराज स्टूडेंट भी बन गए हैं. शिवासुब्रमण्यम उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो बढ़ती उम्र की फिक्र किए बिना अपने सपनों को पूरा करने में लगे हुए हैं. शिवासुब्रमण्यम की इस उपलब्धि पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने उनकी तारीफ की और उन्हें 90 साल का ‘युवा’ बताया.
शिवासुब्रमण्यम कहते हैं, ”परिवार की जिम्मेदारियों ने मुझे पढ़ाई के प्रति अपने जुनून का पीछा करने से रोक दिया, लेकिन 87 साल की उम्र में आखिरकार उस अवसर ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी.” शिवासुब्रमण्यम ने बताया, “1940 के दशक में अपना स्कूल खत्म करने के बाद, मैं कॉलेज जाना चाहता था लेकिन इसका मतलब या तो त्रिची या चेन्नई में शिफ्ट करना था. इस बीच, मेरे माता-पिता दोनों बीमार पड़ गए और मेरे रिश्तेदारों ने मुझे न जाने की सलाह दी क्योंकि मुझे उनकी देखभाल करनी थी. इसीलिए मैने नौकरी शुरू कर दी.”
शिवासुब्रमण्यम बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गए. यहां मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में उन्हें क्लर्क की नौकरी मिल गई. फिर 1986 में 58 साल की उम्र में वह डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए. लेकिन उनका ग्रेजुएट होने का सपना अधूरा रह गया. शिवासुब्रमण्यम कहते हैं, “मुझे संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर दिया गया था, लेकिन मैं ग्रेजुएट नहीं था, इसलिए नहीं जा सका.” एक दिन मेरे फिजियोथेरेपिस्ट ने कहा कि उसे आज जल्द जाना है क्योंकि उसे इग्नू में एक कोर्स के लिए आवेदन करने के लिए अपना फॉर्म जमा करना है. उन्होंने अपने लिए भी पता करने को कहा.
पता चला कि इग्नू में उम्र की कोई सीमा नहीं है और फिर उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कोर्स में एडमिशन ले लिया. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद शिवासुब्रमण्यम ने मास्टर्स में एडमिशन लिया. पिछले छह वर्षों में उनकी दिनचर्या सुबह 5 बजे उठने और ज्यादा से ज्यादा समय किताबों के साथ बिताने की रही. मास्टर्स के बाद शिवासुब्रमण्यम रुके नहीं और उनका प्लान एमफिल करने का था.
लेकिन फिर उनकी बेटी ने कहा कि एमफिल में काफी कम सीट होती हैं. ऐसे में वह एडमिशन लेकर किसी और की सीट कम करेंगे. ऐसे में अब शिवा किसी शॉर्ट टर्म कोर्स की तलाश में हैं. अपने परिवार का जिक्र करते हुए शिवा ने कहा कि, ”मेरे पोते-पोतियों की पढ़ाई खत्म हो चुकी है. कुछ की शादी हो गई है. एक पोती यूएस में पढ़ रही है.”