MP: 20 साल से इस कॉलेज में नहीं चली है एक भी क्लास, सिर्फ परीक्षा देने और फॉर्म भरने आते हैं छात्र
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के भिंड जिले की अटेर तहसील स्थित शासकीय महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं की कक्षाएं पिछले 20 साल से नहीं लगी हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यहां शिक्षकों के आने व जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है. छात्र भी केवल परीक्षा देने और फार्म भरने के लिए ही आते हैं. जब प्रिंसिपल आरएस परिहार से इस बारे में संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि हम व्यवस्थाएं ठीक करने का प्रयास करेंगे.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कॉलेज के शिक्षक खुद प्रिंसिपल की बात नहीं सुनते हैं.शिक्षकों की इस कदर चल रही मनमानी से छात्रों का भविष्य अंधकार में है. बिना पढ़ाई के परीक्षाएं देकर छात्र हर साल पास हो जाते हैं. इससे यह भी स्पष्ट है कि कॉलेज में नकल पर प्रतिबंध नहीं है. कहने को तो 20 वर्ष पहले अटेर को सरकारी कॉलेज की सौगात मिली थी. वर्तमान में 150 छात्रों का एडमिशन है. किसी डिग्री कॉलेज में इतने कम छात्र होना अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है. छात्र इसलिए एडमिशन नहीं कराते हैं क्योंकि कॉलेज में शिक्षा का स्तर ग्राउंड लेवल पर पहुंच गया है. पढ़ाई के नाम पर प्राइवेट स्कूल या कॉलेज जैसी शिक्षा रह गई है.
कॉलेज के छात्रों से बात करने पर पता चला कि अगर किसी प्रकार का संशोधन कराना होता है तो प्रबंधन द्वारा काम नहीं किया जाता है. छात्र खुद ही ग्वालियर जीवाजी यूनिवर्सिटी पहुंचकर अपने कामकाज कराते हैं. छात्रों का कहना है कि अधिकांश बच्चों के सब्जेक्ट बदल दिए गए हैं. जिन्हें समस्या हो रही है. विषय बदलवाने के लिए काॅलेज के प्रिंसिपल से कहा तो उन्होंने भी गंभीरता से काम नहीं किया. इसके अलावा शिक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्यों को करवाने के लिए छात्रों को कॉलेज की बजाय सीधे ग्वालियर जाना पड़ता है.
शिक्षा के साथ ही महाविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पानी के लिए पर्याप्त स्रोत नहीं है। एक हैंडपंप लगा है जिसमें गंदा पानी निकलता है। बाकी शौचालय में पानी की सुविधा न होने से सालों से बंद पड़े हैं। छात्रों ने इस समस्या को लेकर कई बार शिकायत की है, लेकिन समस्या को हर बार नजर अंदाज कर दिया जाता है। प्रिंसिपल परिहार ने जब इन मुद्दों पर चर्चा की गई तो उन्होंने आश्वासन दे दिया है। मगर ग्रामीणों का कहना है कि वह सालों से ऐसी स्थिति देखते आ रहे हैं।
सरकारी कॉलेज में सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. प्रत्येक कक्ष में कचरा पड़ा है. भवन की स्थिति पर ध्यान दें तो दीवारों से प्लास्टर टपक रहा है. मरम्मत और पुताई का काम तो सालों से नहीं कराया जा रहा है.
साभार- दैनिक भास्कर