अंतिम वर्ष की परीक्षा के यूजीसी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गयी थी चुनौती, फैसला जल्द
नई दिल्ली।
यूजीसी ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से यह अनुरोध किया है कि वे अपने यहां के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से कराये व सितंबर के अंत तक देश के सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करानी हैं। हाल ही में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि आयोग द्वारा निर्धारित समय में हर राज्यों के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को परीक्षा कराना अनिवार्य है। वहीं कई राज्यों ने यूजीसी के इन निर्देशों पर ऐतराज जताया था। छात्रों द्वारा सभी विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के दिशा-निर्देश संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का हालिया आदेश रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया था। अब आज बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अगले दो दिनों में 31 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करेगा। छात्रों की अपील थी कि स्नातक और परास्नातक कोर्स के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा अनिवार्य रूप से लेने के यूजीसी के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। इसके अलावा छात्रों ने ये मांग भी की थी कि सीबीएसई की तर्ज पर उनके पिछले पांच सेमेस्टर के प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक प्रदान करते हुए उन्हें 31 जुलाई तक डिग्री दे दी जाए। उक्त मामलों पर सुप्रीम कोर्ट जल्द फैसला सुनाने को तैयार है।
दो दिन बाद सुनवाई –
बता दें कि UGC ने हाल ही में आदेश दिए कि सभी विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करनी होगी। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को यह विकल्प दिया था कि वे ऑनलाइन, ऑफलाइन या मिक्स्ड मोड में परीक्षा ले सकते हैं। ऐसे में 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की दर्जनों यूनिवर्सिटी के 31 छात्रों ने UGC के आदेश पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन 31 छात्रों में एक छात्र स्वयं भी कोरोना पॉजिटिव है। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की याचिका को स्वीकार किया था और अब दो दिन बाद सुनवाई है।