वाराणसी: दो विश्वविद्यालयों और दो महाविद्यालयों के छात्रसंघ पदाधिकारियों को कुर्सी तो मिली, पर काम का मौका नहीं मिला
वाराणसी. विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के छात्रसंघ पदाधिकारियों के कार्यकाल इस वर्ष ज्यादातर बंदी की भेंट चढ़ गए हैं. वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप के चलते शैक्षिक संस्थाएं भी बंद चल रही हैं. खुलते ही परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा. वहीं 30 जून को लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार छात्रसंघ का कार्यकाल समाप्त होना तय है. ऐसे में छात्रसंघ के पदाधिकारियों को इस बार कैंपस में काम करने का मौका कम मिला. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पदाधिकारी तो उद्घाटन समारोह तक नहीं करा सके हैं. छात्रसंघ के पदाधिकारी इसके लिए योजना ही बना रहे थे कि लॉकडाउन ने उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया.
जनपद के तमाम विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों अक्टूबर 2019 में छात्रसंघ चुनाव कराने की योजना बनाई थी. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व यूपी कालेज ने छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. इस बीच जिला प्रशासन ने दीपावली, छठ, देव दीपावली सहित अन्य त्योहारों का हवाला देते हुए छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी. इसके पीछे अयोध्या राम जन्मभूमि मामले पर आने वाले फैसला मुख्य कारण था. बहरहाल जिला प्रशासन की अनुमति न मिलने के कारण विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों को नवंबर व दिसंबर में छात्रसंघ चुनाव कराना पड़ा. सबसे देर में संस्कृत विश्वविद्यालय ने छात्रसंघ चुनाव कराया. संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव आठ जनवरी को हुआ. इसके कुछ ही दिनों के बाद छात्रसंघ के पदाधिकारी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन पर चले गए. करीब दो माह तक छात्रसंघ पदाधिकारी धरने पर बैठे रहे. धरना समाप्त होने के बाद पदाधिकारी छात्रसंघ उद्घाटन कराने की तैयारी कर रहे थे कि कोरोना वायरस ने ब्रेक लगा दिया. छात्रसंघ अध्यक्ष शिवम शुक्ला ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद छात्रसंघ समापन समारोह कराया जाएगा. बहरहाल विलंब से चुनाव होने व बंदी के कारण छात्रसंघ पदाधिकारियों की पैठ आम छात्रों तक नहीं हो सकी. छात्रसंघ काशी विद्यापीठ के अध्यक्ष संदीप यादव ने बताया कि हम लोग अप्रैल में एक भव्य समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया था. लॉकडाउन को देखते हुए फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.