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उच्च शिक्षा में सहयोग के लिए ‘विद्यांजलि उच्च शिक्षा स्वयंसेवक कार्यक्रम’ शुरू, जाने क्या है ये कार्यक्रम

एआईसीटीई (AICTE) के उपाध्यक्ष प्रो एम पी पुनिया ने बताया, ‘‘ यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण पहल है जिससे करीब चार करोड़ छात्रों को फायदा होगा।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) में केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने देश की उच्च शिक्षा प्रणाली में अकादमिक, प्रशिक्षण एवं आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्वयंसेवकों का एक समूह तैयार करने के उद्देश्य से ‘विद्यांजलि उच्च शिक्षा स्वसंसेवक कार्यक्रम’ शुरू किया गया है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से तैयार इस कार्यक्रम में स्वयंसेवक एवं संस्थान दोनों पंजीकरण करा सकते हैं। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा के स्तर पर छात्रों, शिक्षकों एवं संस्थानों को सहयोग प्रदान करना है जिसमें समुदाय, निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र, स्वयंसेवी संस्थान, प्रवासी भारतीय, भारतीय मूल के लोग आदि हिस्सा ले सकते हैं।

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पहले करना होगा रजिस्ट्रेशन

विद्यांजलि उच्च शिक्षा स्वसंसेवक कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवकों और संस्थानों को पहले पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए vidyanjali.education.gov.in पर जाना होगा। शिक्षा मंत्रालय की ओर से इसके लिए सुचित किया जाएगा। इसके बाद संबंधित उच्च शिक्षण संस्थाओं से सीधे चर्चा कर अपने ज्ञान एवं कौशल के आधार पर योगदान के बारे में बात कर सकते हैं। स्वसंसेवक संबंधित संस्थानों को उपकरण एवं सामान दान स्वरूप देकर भी मदद कर सकते हैं।

इस बारे में पूछे जाने पर एआईसीटीई (AICTE) के उपाध्यक्ष प्रो एम पी पुनिया ने बताया, ‘‘ यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण पहल है जिससे करीब चार करोड़ छात्रों को फायदा होगा। सरकार और समाज के सम्मिलित प्रयास से शिक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।’’

कौन ले सकता है भाग?

इस कार्यक्रम के जरिए दुनिया में फैले भारतीय समुदाय के लोग, युवा पेशेवर, सेवानिवृत/कार्यरत शिक्षक एवं अधिकारी, स्नातकोत्तर (पीजी) या पीएचडी स्तर के छात्रों सहित विभिन्न क्षेत्र से स्वयंसेवक उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़ सकते हैं।

कार्यक्रम के अनुसार, इच्छुक स्वयंसेवक अपने कौशल एवं विशिष्ट सेवाओं के बारे में संस्थानों को बताएंगे। संस्थान भी अपनी जरूरत की जानकारी देंगे। इसके तहत 27 प्रकार की अकादमिक गतिविधियों को चिन्हित किया गया है। इसमें आधारभूत संरचना के विकास में सहयोग, शिक्षकों के लिए कक्षा संबंधी उपकरण तथा डिजिटल ढांचे संबंधी सहयोग को शामिल किया गया है। इसके अलावा सिविल एवं बिजली संबंधी ढांचे में भी सहयोग किया जा सकता है।

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