माखनलाल विश्वविद्यालय में हुआ वेबिनार आयोजित, शिक्षा नीति पर हुई चर्चा
भोपाल।
‘हिन्दी पखवाड़े’ के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 22 सितम्बर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिन्दी का भविष्य’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। यह वेबिनार विवि के कुलपति डॉ के जी सुरेश की अध्यक्षता मे आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. रजनीश शुक्ल और विशिष्ट अतिथि प्रो. रामदेव भारद्वाज ने भी वेबिनार को संबोधित किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की करनी होगी प्रशंसा –
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिन्दी का भविष्य’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में कहा कि, मातृभाषा में पढ़ाने की अनुशंसा करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा करनी होगी। वेबिनार के मुख्य वक्ता प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय ने कहा कि आज हिन्दी का जो विस्तार हम देखते हैं, वह अहिन्दी भाषियों के कारण है। गुजराती भाषी महात्मा गांधी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अत्यधिक आग्रही थे। गांधीजी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का नाम देने से पहले भारत का भ्रमण किया था।
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भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन में है हिन्दी का भविष्य –
कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संस्थागत स्तर पर भारत में अंग्रेजी नहीं बोल पाने पर हिन्दी भाषियों के मन में हीन भावना पैदा की गई। इस कारण यह स्थिति बन गई है कि हम अंग्रेजी बोलने वाले व्यक्तियों को विद्वान समझते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिन्दी के लिए विशेष प्रावधान नहीं है, इसलिए हमने आज यह चर्चा रखी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं पर जोर दिया गया है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि भारतीय भाषाओं के विकास से ही हिन्दी का विकास एवं विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में समन्वय की आवश्यकता है। हिन्दी भाषियों को कोई एक दूसरी भारतीय भाषा सीखने का प्रयास करना चाहिए। अंग्रेजी की अपेक्षा हमें भारतीय भाषाओं के शब्दों को हिन्दी में लेना चाहिए। भले ही तमिलनाडु से हिन्दी विरोध के स्वर उठते हैं लेकिन वहाँ अब बड़ी संख्या में लोग हिन्दी सीख रहे हैं।