कौशल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हुयी शारदालिपि पर सप्ताहिक कार्यशाला
नई दिल्ली :
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति राज नेहरू का ध्येय है कि लुप्त प्राय भारतीय कौशल से लेकर वर्तमान में सजृन हो रहे अतिनूतन तकनीकी आयामों से संबधित जितने भी कौशल हैं। सबके लिए परम्परागत तथा नवाचार पर आधारित कौशल सीखने तथा सीखाने को अधिक से अधिक बल दिया जाये। विश्वविद्यालय के द्वारा एक विलुप्त प्राय लिपि शारदा के पुर्नउत्थान हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अति महत्वपूर्ण लिपि के लेख, पाण्डुलिपियां तथा ग्रन्थ उपलब्ध –
शारदालिपि मूलतः कश्मीर राज्य तथा उतरी भारत के अन्य राज्यो की पूर्वकाल में प्रमुख लिपि रही है। इस लिपि का विकास ब्रह्मी लिपि से हुआ तथा पूर्वकाल के अनेकों विद्वानों द्वारा रचित अनेको अनेक लेखो, शिलालेखो, पाण्डुलिपियों तथा ग्रंथों की रचना की गई। परन्तु कालान्तर में भारत पर विदेशियों द्वारा किए गए आक्रमणों एवं शासन के दौरान ज्ञान से परिपूर्ण इस लिपि को नष्ट कर दिया गया। आज भी सयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपियन देशों, भारत तथा अन्य विदेशी राष्ट्रों में इस अति महत्वपूर्ण लिपि के लेख,पाण्डुलिपियां तथा ग्रन्थ उपलब्ध है। परन्तु लिपि के पठन, पाठन तथा लेखन की उपयुक्त जानकारी न होने की वजह से इन पाण्डुलिपियों एंव ग्रन्थों में समाहित अतिः महत्वपूर्ण ज्ञान आज के जनमानष के पास होते हुए भी उससे अति दूर है।
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पुर्नउत्थान के लिए एक राष्ट्रीय सप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन –
श्री कौशल विश्वविद्यालय ने इस लिपि के प्रति जानकारी तथा जागरूकता बढ़ाने हेतु मिलेनियम इंडिया ऐजुकेशन फांउडेशन के सहयोग तथा विश्वविद्यालय के मानविकी एवं व्यहवारिक विज्ञान संकाय के तत्वाधान में शारदा लिपि के पुर्नउत्थान के लिए एक राष्ट्रीय सप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन किया | कार्यशाला में पूरे भारत वर्ष से लगभग 30 भाषा विज्ञानियों तथा अन्य विद्वानों ने भाग लिया। मिलेनियम इंडिया एजेकुशेन फांउडेशन के निर्देशक प्रो. उदय काकरू, डा सुषमा देवी गुप्ता विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग जम्मू विश्वविद्यालय, श्रीमती नीलम तथा प्रो एस एस तोषखानी आदि ने शारदा लिपि के विद्वानों ने सप्ताह भर तक प्रतिभागियों को लिपि के पठन, पाठन तथा लेखन में पारगंत करने के प्रयास किए|
शारदालिपि के बारे में अपने उद्बोधन प्रस्तुत किए –
कार्यशाला का शुभारम्भ माननीय कुलपति राज नेहरू के द्वारा किया गया तथा उद्घाटन समारोह में मानविकी संकाय प्रमुख प्रो. ऋषिपाल ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया। तद्उरान्त प्रो वी पाण्डुरंगी, कुलसचिव, कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय बैंगलौर, प्रो संतोष शुक्ला, संकाय प्रमुख संस्कृत स्कूल एवं भारतीय अध्ययन केन्द्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आदि ने शारदालिपि के बारे में अपने उद्बोधन प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में ये लोग रहें सम्मिलित –
कार्यक्रम के अंत में मिलेनियम इंडिया एजेकुशन फांउडेशन के निर्देशक डा उदय काकरू ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। कार्यशाला के सभी तकनीकी व अन्य सत्र ई-प्लेटफार्म के माध्यम से संचालित किये गये। कार्यशाला के समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो डॉ मनोज कुमार धर, कुलपति जम्मू विश्वविद्यालय जम्मू तथा विशिष्ट अतिथि प्रो आर एस राठौर कुलसचिव श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय एवं प्रो गिरीश नाथ झां पूर्व संकाय प्रमुख संस्कृत एवं भारतीय अध्यन केन्द्र जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली रहे। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. सुषमा देवी गुप्ता जी रही| इस कार्यशाला के आयोजन में डॉ मोहित श्रीवास्तव, डॉ नकुल, डॉ निखलेश, मोहम्मद इम्तियाज अली, ड़ॉ राजेश्वरी एवं डॉ सोहन का सक्रिय योगदान रहा।