दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा पर केंद्र व यूजीसी से किया जवाब तलब, 4 अगस्त को होगी सुनवाई
नई दिल्ली।
यूजीसी ने 6 जुलाई को रिवाइज्ड एग्जाम गाइडलाइंस जारी की थी। यूजीसी ने गाइडलाइंस के माध्यम से सितंबर अंत तक कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में फाइनल इयर के एग्जाम को अनिवार्य बना दिया था। जिस पर अब दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) और दिल्ली यूनिवर्सिटी को एक नोटिस जारी करके फाइनल इयर एग्जाम से संबंधित याचिका पर जवाब तलब किया है। यह याचिका कॉलेजों में फाइनल इयर एग्जाम के आयोजन को सितंबर अंत तक अनिवार्य बनाने से संबंधित है। जस्टिस जयंत नाथ पर आधारित एक बेंच ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद केंद्र (केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय), यूजीसी और दिल्ली यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया और मामले पर सुनवाई की तारीख 4 अगस्त तय की।
याचिका में प्रमोट करने की बात –
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट के समक्ष यूजीसी की ओर से हाजिर हुए थे। ध्रुव पाण्डेय और रणदीप सचदेवा वकीलों के माध्यम से दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतिम वर्ष के छात्र कबीर सचदेवा ने याचिका दाखिल की थी। याचिका के माध्यम से मांग की गई है कि पिछले सालों में प्राप्त अंकों और मौजूदा साल के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रमोट करने का निर्देश दिया जाए।
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क्या कहती है यूजीसी की गाइडलाइंस –
बता दें कि यूजीसी ने 6 जुलाई को रिवाइज्ड एग्जाम गाइडलाइंस जारी की थी। यूजीसी ने गाइडलाइंस के माध्यम से सितंबर अंत तक कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में फाइनल इयर के एग्जाम को अनिवार्य बना दिया था। यूजीसी का कहना था कि एग्जाम छात्रों की शैक्षिक विश्वसनीयता, करियर के अवसर और भविष्य में प्रगति के लिए जरूरी हैं।इससे पहले यह खबर आई थी कि यूजीसी की एक कमिटी ने फाइनल इयर के एग्जाम को भी रद्द करने की सिफारिश की है। तब यह माना जा रहा था कि अन्य सेमेस्टर/टर्म की तर्ज पर ही फाइनल इयर का रिजल्ट भी पहले हो चुके एग्जाम और इंटर्नल असेसमेंट के आधार पर तैयार किया जाएगा। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि ऐसा कुछ नहीं होगा।